आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस :-
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसी तकनीक है, जिसमें एक कंप्यूटर अपने प्रोग्राम में दिए जा रहे निर्देशों को समझने के बाद उन्हें संरक्षित करता है और उनके आधार पर भविष्य की जरूरतों को समझते हुए निर्णय लेता है या फिर उसके अनुसार काम करता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये अब मशीनों के बीच संवाद करना भी मुमकिन हो गया है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने रोबोटिक्स की दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया है। इस तकनीक की वजह से अब रोबोट में चीजों को सीखने की क्षमता आ गयी है। अब रोबोट कुछ काम करने का निर्णय खुद ही ले सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तहत स्पीच रिकग्निशन, विजुअल परसेप्शन, लैंग्वेज आइडेंटिफिकेशन और डिसीजन मेकिंग आदि का वर्णन किया जा सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इतिहास :-
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्थापना जॉन मैकार्थी (John McCarthy) ने की थी, उनके दोस्तों मार्विन मिंस्की, हर्बर्ट साइमन, ऐलेन नेवेल ने मिलकर शुरूआती कृत्रिम बुद्धिमत्ता का विकास और शोध कार्य किया था।
- जब जॉन मैकार्थी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करना शुरू किया तब यह तकनीक विकसित नहीं थी लेकिन समय के साथ तकनीक, एल्गोरिथम, कम्प्यूटरिंग पावर और स्टोरेज में सुधार के चलते आज यह काफी लोकप्रिय और कामयाब हो गयी है।
- 1950 के दशक में शुरू हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को 1970 के दशक में लोकप्रियता मिली जब जापान ने इस पर पहल की।
- 1981 में जापान ने 5th जेनरेशन योजना की शुरूआत की, इसमें सुपर कम्प्यूटर के विकास के लिए दस वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई।
- ब्रिटेन ने एल्वी नाम से एक प्रोजेक्ट बनाया बाद में यूरोपीय संघ ने एस्प्रिट (ESPRIT) नामक कार्यक्रम की शुरूआत की।
- 1983 में कुछ निजी संस्थानों ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों का विकास करने के लिए एक संघ माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी की स्थापना की।
ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रकार :-
वैज्ञानिकों ने समय के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अलग-अलग तरीकों और रूपों का विकास किया। वैसे तो ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बहुत से भागों में विभाजित किया गया है।
- पूर्णतः प्रतिक्रियात्मक (Purely Reactive)
- सीमित स्मृति (Limited Memory)
- मस्तिष्क सिद्धांत (Brain Theory)
- आत्म-चेतन (Self Conscious)
कमजोर एआई :-
इसे इस प्रकार से तैयार किया जाता है कि ये केवल एक टास्क ही करने में सक्षम होता है। एप्पल का सिरी (Siri) और गूगल का वॉयस सिस्टम इसके उदाहरण हैं।
शक्तिशाली एआई :-
इस प्रकार के सिस्टम में सामान्यीकृत मनुष्य की बुद्धिमता होती है, जिससे कि समय आने पर कोई भी मुश्किल टास्क कर सके और उसका हल निकाल सकें।
प्रतिक्रियाशील मशीनें :-
- यह मशीनें सिर्फ दिए गए कामों को करने में ही सक्षम होती हैं तथा यह अन्य कार्य नहीं कर सकती हैं।
- सी तरह वैज्ञानिकों ने सीमित मेमोरी का विकास किया जो प्री प्रोग्राम नॉलेज और ऑब्जरवेशन करके अपना काम करती हैं।
- इस तरह के मशीनों में जो निर्देश डाले जाते हैं उन्हीं के आधार पर यह फैसला लेती हैं।
- कुछ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीनों का विकास मस्तिष्क के सिद्धांत के आधार पर भी करने की कोशिश हो रही है। इस तरह की मशीनें लोगों की भावनाएँ और उनके व्यवहार को समझने में सक्षम होंगी। वर्तमान में आत्म जागरूकता के लिए भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन तैयार करने की कोशिश हो रही है। यह मशीनें इंसानों के अंदर की भावनाओं की पहचान करने में सक्षम होंगी। जैसे-जैसे कम्प्यूटर साइंस और तकनीक का विकास हो रहा है, वैसे-वैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में भी नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। आने वाले दिनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में कई चीजें देखने को मिल सकती हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्त्व :-
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के फायदों को निम्न बिन्दुओं के अंतर्गत समझा जा सकता है-
- एआई में होने वाले विकास का बड़ा फायदा चिकित्सा क्षेत्र को मिल सकता है। ऑपरेशन जैसे कामों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस काफी कारगर साबित हो सकती है। इससे कम समय में ज्यादा लोगों का इलाज संभव हो सकता है।
- ग्रामीण इलाकों में जहाँ कनेक्टिविटी की समस्या तथा स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में प्रशिक्षित कर्मियों की कमी है वहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से इलाज किया जा सकता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कीटनाशकों तथा उर्वरकों के दुरुपयोग जैसी चुनौतियों का समाधान करने की भी क्षमता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेस का सबसे बड़ा फायदा विनिर्माण और उत्पादन से जुड़े क्षेत्रों को होने वाला है। इसी वजह से पिछले कुछ सालों में इन क्षेत्रों से कई कंपनियों ने एआई से जुड़े रिसर्च पर करोड़ों रुपए खर्च किए हैं। दरअसल, एआई मशीन द्वारा गलतियों की गुंजाइश कम होती है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि मशीनों को लंबे समय तक काम में लगाया जा सकता है।
- सुरक्षा दृष्टिकोण से भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का महत्त्व बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए सेना के जवानों की जगह रोबोट का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में धोखाधड़ी का पता लगाने, वित्तीय लेन-देन में होने वाली अनियमितता, ट्रेडिंग पैटर्न पर निगरानी जैसे मामलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- घर के रोजमर्रा के काम के लिए जैसे सफाई, इलेक्ट्रिसिटी के काम या कुकिंग आदि के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया जा सकता है।
- स्कूल और कॉलेजों में लेक्चर देने तक के काम एआई के जरिए किए जा सकते हैं।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विश्व स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक वृद्धिशील मूल्य प्रदान करने की क्षमता रखता है।
- वित्तीय संस्थानों और बैंकिंग संस्थानों द्वारा डेटा को व्यवस्थित और प्रबंधित करने के लिए एआई का उपयोग किया जा रहा है। स्मार्टकार्ड सिस्टम में भी एआई का इस्तेमाल किया जाता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से हम ऐसे अनेक कामों को भी कर सकते हैं जो मनुष्य नहीं कर सकता है। समुद्र तल की गहराई में खनिज, पेट्रोल, और ईंधन की खोज का काम, गहरी खानों में खुदाई का काम बहुत कठिन और जटिल होता है। समुद्र की तलहटी में पानी का गहन दबाव होता है। ऐसे में एआई की सहायता से ईंधन की खोज की जाती है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के संभावित उपयोग में, स्वचालित ड्राइवर ऑटोनोमस ट्रैकिंग और डिलीवरी तथा बेहतर यातायात प्रबंधन आते हैं।
- ऊर्जा क्षेत्र में इसके संभावित उपयोग से बिजली संतुलन एवं उपयोग दक्षता में वृद्धि होती है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल क्रिकेट, फुटबॉल, बेसबॉल, शतरंज जैसे खेलों की तस्वीरें लेने में प्रमुख रूप से किया जा रहा है।
- नए विकसित स्मार्ट शहरों और बुनियादी ढाँचे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा यह जीवन को उच्च गुणवत्ता प्रदान कर सकता है।
- अंतरिक्ष से जुड़ी खोजों में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया जा रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खतरे और इसकी सीमाएँ :-
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे रहने और कार्य करने के तरीकों में बड़ा परिवर्तन लाने जा रहा है। रोबोटिक्स और वर्चुअल रियलिटी जैसी तकनीकों द्वारा अब उत्पादन और निर्माण के क्षेत्रों में बड़ा बदलाव हुआ है । लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बड़े पैमाने पर बेरोजगारी फैल सकती है। फैक्ट्री, कारखानों, बैंकों में इसका व्यापक इस्तेमाल करने से हजारों लोगों की नौकरी छिन सकती है।
- ऑटोमेशन (रोबोट क्रांति) के आने से जिन नौकरियों के ख़त्म होने की उम्मीद है, उनमें डेटा एंट्री क्लर्क, अकाउंटिंग क्लर्क जैसे व्हाइट कॉलर (White Color) जॉब शामिल हैं।
- बहुत अधिक संभावना है कि इसके व्यापक इस्तेमाल से हम पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसय् पर ही आश्रित हो जायें और अपनी रचनात्मक शक्ति को कम कर बैठें।
- इस बात की सम्भावना है कि इसकी मदद से मशीनें स्वचालित हथियार बना लें जो खुद ही समूची मानव जाति का नाश कर दें।
- विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने-समझने वाले रोबोट अगर किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगें, तो मानवता के लिये ख़तरा पैदा हो सकता है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक में जिस स्तर का विकास होता जा रहा है, उस स्तर पर अपनी तरह की नई चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। उदाहरण के लिए वॉइस रिकग्नाइजेशन वाली मशीनों में यूजर की प्राइवेसी सार्वजनिक हो जाने का ख़तरा बना रहता है।
- बैंक, एटीएम, अस्पताल, फैक्ट्री किसी भी जगह एआई से युत्तफ़ मशीन लगाना बहुत महँगा पड़ता है। इसके ऽराब हो जाने पर इसको ठीक करना भी आसान नही होता है तथा इनका रखरखाव भी बहुत खर्चीला होता है।
- भावना या नैतिक मूल्य मशीनों में मौजूद नहीं होता है, वो सही और गलत काम में अंतर नहीं कर पाता है।
- विपरीत परिस्थितियाँ होने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसय तकनीक से युक्त मशीनें फैसला
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रमुख अनुप्रयोग :-
- कंप्यूटर गेम-Computer Gaming
- प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण-Natural Language Processing
- प्रवीण प्रणाली-Expert System
- दृष्टि प्रणाली-Vision System
- वाक् पहचान-Speech Recognition
- बुद्धिमान रोबोट-Intelligent Robot
भारत के प्रधानमंत्री ने डिज़िटल अर्थव्यवस्था एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्त्व को रेखांकित किया।
उन्होंने डिज़िटल अर्थव्यवस्था एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने हेतु सरकार को 5 ‘I’ को प्रोत्साहन देने की बात कही है। यहाँ 5 ‘I’ का अर्थ है-
- Inclusiveness (समावेशन)
- Indigenization (स्वदेशीकरण)
- Innovation (नवाचार)
- Investment in infrastructure (अवसंरचना में निवेश)
- International cooperation (अंतर्राष्ट्रीय सहयोग)।