भारत के प्रमुख उद्योग
- किसी विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में सामान का निर्माण/उत्पादन या वृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कर्म को उद्योग (Industry) कहते हैं।
- औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप यूरोप एवं उत्तरी अमेरिका में नये-नये उद्योग-धन्धे आरम्भ हुए।
- इस काल में नयी-नयी तकनीकें एवं उर्जा के नये साधनों के आगमन ने उद्योगों को जबर्दस्त बढावा दिया।
उद्योगों के दो मुख्य पक्ष हैं:-
1) भारी मात्रा में उत्पादन – उद्योगों में मानक डिजाइन के उत्पाद भारी मात्रा में उत्पन्न किये जाते हैं।
इसके लिये स्वतचालित मशीनें एवं असेम्बली-लाइन आदि का प्रयोग किया जाता है।
2) कार्य का विभाजन – उद्योगों में डिजाइन, उत्पादन, मार्कटिंग, प्रबन्धन आदि कार्य अलग-अलग लोगों या समूहों द्वारा किये जाते हैं।
भारत के प्रमुख उद्योग के प्रकार :-
- लौह एवं इस्पात उद्योग
- सीमेन्ट उद्योग
- कोयला उद्योग
- पेट्रोलियम उद्योग
- कपड़ा उद्योग रत्न एवं आभूषण उद्योग
- चीनी उद्योग
लोहा इस्पात उद्योग :-
- देश में पहला लौह इस्पात कारखाना 1874 ईस्वी में बराकर नदी के किनारे कुल्टी (आसनसोल, पश्चिम बंगाल) नामक स्थान पर बंगाल आयरन वर्क्स के रूप में स्थापित किया गया था।
- बाद में यह कंपनी फंड के अभाव में बंद हो गई तो इसे बंगाल सरकार ने अधिग्रहण कर दिया और इसका नाम बराकर आयरन वर्क्स रखा।
- लौह इस्पात उद्योग को किसी देश के अर्थिक विकास की धुरी माना जाता है।
- भारत में इसका सबसे पहला बड़े पैमाने का कारख़ाना 1907 में झारखण्ड राज्य में सुवर्णरेखा नदी की घाटी में साकची नामक स्थान पर जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित किया गया गया था।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत इस पर काफ़ी ध्यान दिया गया और वर्तमान में 7 कारखानों द्वारा लौह इस्पात का उत्पादन किया जा रहा है।
- TISCO : Tata Iron & Steel Company limited, Jamshedpur) भारत का पहला सबसे बड़ा कारखाना जहां भारत का 20% इस्पात निर्मित होता हैं। इस उद्योग को बोकरो, जमशेदपुर, उड़ीसा से कोयला व लोहा प्राप्त होता हैं।
- देश में सबसे पहला बड़े पैमाने का कारखाना 1907 ईस्वी में तत्कालीन बिहार राज्य की में स्वर्ण रेखा नदी की घाटी में साकची नामक स्थान पर जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित किया गया था।
स्वतंत्रता के पूर्व स्थापित लोहा इस्पात कारखाना :-
भारतीय लोहा इस्पात कंपनी :-
- इसकी स्थापना 1918 ई. में पश्चिम बंगाल की दामोदर नदी घाटी में हीरापुर (बाद में इसे बर्नपुर कहा गया) नामक स्थान पर की गई थी।
- यहां 1922 ई. से उत्पादन शुरू हुआ आगे चलकर कुल्टी, बर्नपुर तथा हीरापुर स्थित संयंत्रों को इसमें मिला दिया गया।
मैसूर आयरन एंड स्टील वर्क्स :-
1923 ईस्वी में मैसूर राज्य (वर्तमान कर्नाटक) के भद्रावती नामक स्थान पर स्थापित की गई थी इसका वर्तमान नाम विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड है।
स्टील कॉरपोरेशन ऑफ बंगाल –
- इसकी स्थापना 1937 बर्नपुर (पश्चिम बंगाल) में की गई थी।
- बाद में 1953 ई. में इसे भारतीय लौह-इस्पात कंपनी में मिला दिया गया था।
स्वतंत्रता के पश्चात स्थापित लौह इस्पात कारखाना –
दूसरी पंचवर्षीय योजना काल 1956-61 में स्थापित कारखाना।
भिलाई इस्पात संयंत्र :-
इसकी स्थापना 1955 ई. में तत्कालीन मध्य प्रदेश के भिलाई (दुर्ग जिला, छत्तीसगढ़) में पूर्व सोवियत संघ की सहायता से की गई थी।
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, दुर्गापुर
इसकी स्थापना 1956 ईस्वी. में पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर नामक स्थान पर ब्रिटेन की सहायता से की गई थी।
तृतीय पंचवर्षीय योजना काल में स्थापित कारखाना
बोकारो स्टील प्लांट :-
इसकी स्थापना 1968 में तत्कालीन बिहार राज्य (अब झारखण्ड) के बोकारो नामक स्थान पर पूर्व सोवियत संघ की सहायता से की गई थी।
चौथी पंचवर्षीय योजना काल में स्थापित कारखाना :-
सलेम इस्पात सयंत्र: सलेम (तमिलनाडु)
विशाखापत्तन इस्पात सयंत्र: विशाखापत्तन (आंध्रा प्रदेश)
विजयनगर इस्पात सयंत्र: हास्पेट वेलारी जिला (कर्नाटक)
स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (SAIL):-
24 जनवरी 1973 ईस्वी.को 2000 करोड़ की पूंजी के साथ भारत इस्पात प्रधिकरण (स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) को भिलाई, दुर्गापुर, बोकारो, राउरकेला, बर्नपुर, सलेम एंव विश्वेश्वरैया लौह इस्पात कारखाना को एक साथ मिलाकर संचालन करने की जिम्मेदारी दी गई।
- वर्ष 2014 में भारत चीन, जापान तथा अमेरिका के बाद विश्व का चौथा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश है।
- स्पंज आयरन के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है।
- भारत का पहला तटवर्ती इस्पात कारखाना विशाखापट्नम (आंध्रा) में लगाया गया।
कोयला उद्योग :-
कोयले का महत्त्वः
- भारतीय कोयला उद्योग एक आधारभूत उद्योग है।
- इस पर अन्य उद्योगों का विकास निर्भर करता है।
- वर्तमान समय में शक्ति के साधन के रूप में कोयला उद्योग का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।
- पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश गोंडवाना कोयला क्षेत्र है।
- भारत में प्राप्त कुल कोयले का 98% भाग गोंडवाना क्षेत्र से ही प्राप्त होता है।
- इस क्षेत्र से एन्थ्रेसाइट और बिटुमिनस किस्म के कोयले प्राप्त होते हैं।
- जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, तमिलनाडु, असम, मेघालय और उत्तर प्रदेश टर्शियरी कोयला क्षेत्र है।
- भारत में प्राप्त कुल कोयले का 2% भाग टर्शियरी कोयला क्षेत्र से प्राप्त होता है।
- इस क्षेत्र से लिग्नाइट किस्म का कोयला प्राप्त होता है जिसे ‘भूरा कोयला’ भी कहते हैं।
कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Ltd.—CIL) :-
कोयले के कुल उत्पादन के लगभग 86% भाग पर नियंत्रण यह एक धारक कम्पनी है।
इसके अधीन 7 कम्पनियां कार्यरत हैं।
सिंगरैनी कोलारीज लिमिटेड – (Singareni Collieries Company Ltd.—SCCL)
यह आंध्र प्रदेश सरकार तथा केंद्र सरकार का संयुक्त उपक्रम है।
भारत में सर्वाधिक लिग्नाइट किस्म का कोयला पाया जाता है।
पेट्रोलियम उद्योग :-
- भारत में तेल की खोज और इसके उत्पादन का काम व्यापक और व्यवस्थित रूप से 1956 में तेल और प्राकृतिक गैस आयोग (ONGC) के स्थापना के बाद प्रारंभ हुआ।
- इसी क्रम में ऑयल इंडिया लि. (OIL) सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी कम्पनी बन गई।
- 1 फरवरी, 1994 में तेल और प्राकृतिक गैस आयोग का नाम बदलकर Oil and Natural Gas Corporation कर दिया गया।
- वर्तमान में देश में 21 Oil Refineries हैं जिनमें 17 सार्वजनिक क्षेत्र, 3 निजी क्षेत्र एवं 1 संयुक्त क्षेत्र की है।
बीना ऑयल रिफाइनरी :-
- मध्य प्रदेश के सागर जिले में 20 मई, 2011 को प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा इसका उदघाटन हुआ।
- यह भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लि- (BPCI) व ओमान ऑयल कम्पनी (BOL) का संयुक्त उपक्रम है।
- इसमें 1% हिस्सेदारी MP Govt. की, 26% हिस्सेदारी ओमान ऑयल कम्पनी तथा शेष 73% हिस्सेदारी भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लि- की है।
गुरू गोविन्द सिंह रिफाइनरीः-
- पंजाब के भटिंडा में स्थित इस रिफाइनरी का उदघाटन 28 अप्रैल, 2012 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया।
- यह सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लि- (HPCL) तथा लक्ष्मी निवास मित्तल की मित्तल एनर्जी इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लि- का संयुक्त उपक्रम है।
- इस रिफाइनरी के प्रारंभ होने से भारत में कुल तेलशोधन क्षमता 213 मिलियन मीट्रिक टन सलाना हो गया है।
एल्युमीनियम उद्योग :-
- भारत में एलुमिनियम का पहला कारखाना 1937 में पश्चिम बंगाल के आसनसोल के निकट जेके नगर में स्थापित किया गया था।
- 1938 में 4 कारखाने, तत्कालीन बिहार राज्य के मुरी, केरल के अंल्वाय, पश्चिम बंगाल के वेल्लूर तथा उड़ीसा के हीराकुंड में स्थापित किए गए।
- हिंदुस्तान एलुमिनियम कॉरपोरेशन (हिंडालको) की स्थापना तत्कालीन मध्य प्रदेश के कोरबा नामक स्थान पर की गई।
कंपनी | सहायक देश | प्रमुख केंद्र |
बाल्को | सोवियत संघ | कोरबा एंव कोयना |
नाल्को | फ़्रांस | दामनजोड़ी (ओडिशा) |
हिंडाल्को | अमेरिका | रेणुकूट (उत्तर प्रदेश) |
इंडाल्को | कनाडा | JK नगरी, मूर्ति, अल्वाय |
माल्को | इटली | चेन्नई, मैटूर, सलेम |
वेदांता | जर्मनी | झारसुगुड़ा (ओडिशा) |
- एल्युमिनियम उत्पादन करने में भारत का विश्व में आठवां स्थान है।
- नेशनल एल्युमिनियम कंपनी लिमिटेड (NALCO), देश का सबसे बड़े समन्वित, एलुमिनियम संयंत्र परिसर का गठन 7 जनवरी 1981 को किया गया था।
- इसका पंजीकृत कार्यालय भुवनेश्वर (ओडिशा) में है।
सूती वस्त्र उद्योग :-
- आधुनिक ढंग से सूती वस्त्र की पहली मिल की स्थापना 1818 में कोलकाता के समीप फोर्ट ग्लास्टर में की गई थी। किंतु यह असफल रही थी।
- सबसे पहला सफल आधुनिक सूती कपड़ा कारखाना 1854 में मुंबई में कवासजी डावर द्वारा खोला गया।
- इसमें 1856 ई. से उत्पादन प्रारंभ हुआ।
- सूती वस्त्र उद्योग का सर्वाधिक केंद्रीकरण महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्य में है।
- अन्य प्रमुख राज्य हैं – पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, केरल व उत्तर प्रदेश।
- मुंबई को भारत के सूती वस्त्रों की राजधानी के उपनाम से जाना जाता है।
- कानपुर को उत्तर भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।
- कोयंबटूर को दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।
- अहमदाबाद को भारत का बोस्टन कहा जाता है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था में कपड़ा उद्योग का स्थान कृषि के बाद दूसरा है।
- यह भारत का सबसे प्राचीन उद्योग है।
- यह देश का सबसे बड़ा संगठित एवं व्यापक उद्योग है।
- यह उद्योग देश में कृषि के बाद रोजगार प्रदान करने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
- उद्योग उत्पादन में वस्त्र उद्योग का योगदान 14% है।
- देश के सकल घरेलू उत्पाद में यह उद्योग 4% तथा देश की निर्यात आय में 11% योगदान है।
- रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से कृषि के बाद वस्त्र उद्योग दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
जूट उद्योग :-
- सोने का रेशा के नाम से मशहूर जूट के रेशों से सामानों का निर्माण करने में भारत का विश्व में प्रथम स्थान प्राप्त है।
- इसका पहला कारखाना कोलकाता के समीप रिशरा नामक स्थान पर 1869 में खोला गाया था।
- भारतीय जूट निगम की स्थापना 1971 मेंजूट के आयात, निर्यात तथा आंतरिक बाजार की देखभाल करने के लिए की गई थी।
- भारत विश्व के 35% जूट के सामानों का निर्माण करता है और दूसरा बड़ा निर्यातक राष्ट्र है।
चीनी उद्योग :-
भारत में आधुनिक चीनी उद्योग की शुरुआत 1930 में बिहार में पहली चीनी मिल की स्थापना के साथ हुई।
उत्तर प्रदेश | देवरिया,भटनी, पडरौना, गोरखपुर, गौरी बाजार, सिसवां बाजार, बस्ती, बलरामपपुर, गोंडा, बाराबंकी, सीतापुर, हरदोई, विजनौर, मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बुलंदशहर, कानपूर, फ़ैजाबाद एंव मुज्जफरनगर। |
बिहार | मोतिहारी, सुगौली, मझोलिया, चनपटिया, नरकटियागंज, मण्डौर, सासामुसा, मोतीपुर, गोपालगंज, डालमियानगर एंव दरभंगा। |
महाराष्ट्र | मनसद, नासिक, अहमदनगर, पूना, शोलापुर एंव कोल्हापुर। |
पश्चिम बंगाल | तेलडांगा, पलासी, हावड़ा एंव मुर्शिदाबाद। |
पंजाब | हमीरा, फगवाड़ा, अमृतसर। |
हरियाणा | जगधारी एंव रोहतक |
तमिलनाडु | अरकाट, मदुरै, कोयंबटूर, तिरुचिलपल्ली। |
आंध्रा | सीतापुरम, पीठापुरम, भेजवाडा, हास्पेट एंव सांभल कोट। |
राजस्थान | गंगानगर, भूपालसागर। |
सीमेंट उद्योग :-
विश्व में सबसे पहले आधुनिक रूप से सीमेंट का निर्माण 1824 में ब्रिटेन के पोर्टलैंड नामक स्थान पर किया गया था।
सीमेन्ट उद्योग का प्रारंभ से अब तक की स्थितिः
वर्ष 1904 में सर्वप्रथम मद्रास (अब चेन्नई) में भारत का पहला सीमेन्ट कारखाना खोला गया जो असफल रहा किंतु 1912–14 के मध्य 3 बड़े सीमेन्ट कारखाने खोले गएः
- पोरबंदर (गुजरात)।
- कटनी (मध्य प्रदेश)।
- लाखेरी।
- मद्रास के कारखाने के बाद 1912-13 की अवधि में इंडियन सीमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर कारखाने की स्थापना की गई।
- इसमें 1914 से उत्पादन प्रारंभ हुआ।
- एसोसिएट सीमेंट कंपनी लिमिटेड की स्थापना 1936 में की गई थी।
- 1991 में घोषित औद्योगिक नीति के अन्तर्गत सीमेन्ट उद्योग को लाइसेन्स मुक्त कर दिया गया।
- मार्च, 2011 के अन्त में देश में 166 बड़े सीमेन्ट संयंत्र है इसके अलावा देश में कुल 350 लघु सीमेन्ट संयंत्र भी है।
- वर्ष 2010–11 में सीमेन्ट और ईंट का निर्यात 40 लाख टन रहा।
- भारतीय सीमेन्ट ने बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, मध्य पूर्व एशिया (Middle East Asia), म्यांमार, अफ्रीका, आदि देशों के बाजार में अपनी पहुंच बना ली है।
- भारत की सीमेन्ट कम्पनियां हैं: बिरला सीमेन्ट, जे-पी- सीमेन्ट, एसीसी सीमेन्ट और बांगर सीमेन्ट।
कागज उद्योग :-
- कागज का पहला सफल कारखाना 1879 में लखनऊ में लगाया गया।
- मध्यप्रदेश के नेपानगर में अखबारी कागज तथा होशंगाबाद में नोट छापने के कागज बनाने का सरकारी कारखाना है।
रासायनिक उर्वरक उद्योग :-
- 1944 में कर्नाटक के बैलेगुला नामक स्थान पर मैसूर केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स के नाम से अमोनिया उर्वरक का कारखाना लगाया गया।
- 1947 में अमोनिया सल्फेट का पहला कारखाना केरल के अलवाय नामक स्थान पर खोला गया।
- भारतीय उर्वरक निगम की स्थापना 1951 में की गई।
- इसके तहत एशिया का सबसे बड़ा उर्वरक संयंत्र सिंदरी में स्थापित किया गया।
जलयान निर्माण उद्योग:
- भारत में जलयान निर्माण का प्रथम कारखाना 1941 ई. में सिंधिया स्टीम नेविगेशन कंपनी द्वारा विशाखापट्टनम में स्थापित किया गया था।
- 1952 में भारत सरकार द्वारा इसका अधिग्रहण करके हिंदुस्तान शिपयार्ड विशाखापट्टनम नाम दिया गया था।
सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य इकाइयां जो जलयानों का निर्माण करती हैं –
- गर्डे नरिच वर्कशॉप लिमिटेड – कोलकात्ता
- गोवा शिपयार्ड लिमिटेड – गोवा
- मंझ गांव डाक लिमिटेड – मुम्बई
वायुयान निर्माण उद्योग :-
- भारत में हवाई का निर्माण का प्रथम कारखाना 1940 में बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट कंपनी के नाम से स्थापित किया गया है।
- अब इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नाम से जाना जाता है।
- आज बेंगलुरु में ही 5 इकाइयां तथा कोरापुट, कोरवा, नासिक, बैरकपुर, लखनऊ, हैदराबाद तथा कानपुर में 11 अन्य वायुयानों के निर्माण कार्य में सलंग्न है।
मोटरगाड़ी उद्योग :-
मोटरगाड़ी उद्योग को विकास उद्योग के नाम से जाना जाता है।
इससे सबंधित प्रमुख इकाइयां –
- हिंदुस्तान मोटर – (कोलकत्ता)
- प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स लि. – (मुंबई)
- अशोक लीलैंड – (चेन्नई)
- टाटा इंजिनियरिंग एन्ड लोकोमोटिव कम्पनी लि. – (जमशेदपुर)
- महिंद्रा एन्ड महिंद्रा लिमिटेड – (पुणे)
- मारुती उद्योग लि. – गुड़गांव (हरियाणा)
- सनराइज इंडस्ट्रीज – (बंगलुरु)
अभियांत्रिकी उद्योग :-
देश में हटिया, दुर्गापुर, अजमेर, जादवपुर आदि प्रथम स्थान पर है।
- भारी इंजीनयरिंग निगम लिमिटेड (HEC) रांची की स्थापना 1958 में की गई थी।
- कुटीर उद्योग बोर्ड : 1948
- केंद्रीय सिल्क बोर्ड : 1949
- अखिल भारतीय हथकरघा बोर्ड : 1950
- अखिल भारतीय खादी एंव ग्रामोद्योग बोर्ड : 1954
- अखिल भारतीय हस्तकला बोर्ड : 1953
- लघु उद्योग बोर्ड : 1954
- केंद्रीय विक्रय संगठन : 1958
रेल उपकरण उद्योग :-
- चित्तरंजन (पश्चिम बंगाल) रेल इंजन बनाने का सबसे पुराना कारखाना है।
- इसकी स्थापना 26 जनवरी 1950 के दिन चित्तरंजन लोकोमेटिव वर्क्स नाम से शुरू हुई।
- वर्तमान यहां विधुत इंजन का निर्माण किया जा रहा है।
- डीज़ल से चलने वाले इंजन निर्माण वाराणसी में होता ही।
- रेलवे इंजन का निर्मण कार्य जमशेदपुर (झारखण्ड) में भी किया जाता है।
- रेल के डिब्बे बनाने प्रमुख केंद्र चेन्नई के समीप पेरंबूर नामक स्थान पर 1952 में स्थापित किया गया और इसने उत्पादन की शुरुआत 2 अक्टूबर 1955 से हुई इसके अन्य प्रमुख केंद्र बेंगलुरु तथा कोलकाता में है।
- पंजाब के कपूरथला में इंट्री कल कोच फैक्ट्री की स्थापना की गई है।
- रायबरेली उत्तर प्रदेश कचरापारा पश्चिम बंगाल में रेलवे कोच फैक्ट्री की नई उत्पादन इकाइयां लगाई गई है।
- केरल के पाला कार्ड में भी रेल कोच फैक्ट्री लगाई जा रही है।
- बिहार के मंडोरा में डीजल इंजन में मधेपुरा में विद्युत इंजन कारखाना लगाया जा रहा है।
- छपरा बिहार में रेल वहीं फैक्ट्री स्थापित की गई है।
- पश्चिम बंगाल के धनकुनी में विद्युत व डीजल इंजन के अवयव बनाने की फैक्ट्री लगाई जा रही है
- आईआईटी रुड़की मैं देश के पहले रेलवे इंजन थॉमसन को सुरक्षित किया गया है।
- ऊनी वस्त्र उद्योग भारत में उन्नी वस्त्र की पहली मेल 18 क्षेत्र में कानपुर में स्थापित की गई परंतु इस उद्योग का वास्तविक विकास 1950 के बाद ही हुआ।
- पंजाब में लुधियाना जालंधर धारीवाल अमृतसर इस दोगे महत्वपूर्ण केंद्र हैं।
- ब्रिटेन अमेरिका कनाडा जर्मनी आदि भारतीय कालीनों के महत्वपूर्ण आयातक हैं।
भारत में सार्वजनिक उद्यम :-
देश की आजादी के पश्चात उद्योगों के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा विभिन सार्वजनिक उद्यमों की स्थापना की गयी थी। सार्वजनिक उद्यम जिन्हे की आमतौर पर पीएसयू भी कहा जाता है ऐसे उद्यम होते है जिनका निर्माण, नियंत्रण एवं संचालन सरकार के अधीन होता है। भारत सरकार द्वारा स्थापित विभिन उद्यमो ने वर्तमान में कई नवीन कीर्तिमान स्थापित किए है ऐसे में सरकार द्वारा सरकारी उद्यमों को प्रसार-क्षेत्र, वित्तीय स्थिति, संचालन, आकार एवं अन्य मानकों के आधार पर महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न कंपनियों का दर्जा दिया गया है।
महारत्न कंपनियाँ
महारत्न कंपनियाँ उन सरकारी उद्यमों को कहा जाता है जो प्रसार क्षेत्र, आकार, वित्तीय स्थिति एवं संचालन क्षमता के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय कंपनी के समक्ष कार्यरत होती है यानी की भारत सरकार के सबसे वृहद् PSU को ही महारत्न का दर्जा दिया जाता है।महारत्न कंपनी बनने के लिए किसी भी सार्वजनिक उद्यम को निम्न शर्तो को पूरा करना आवश्यक है :-
- पूर्व से नवरत्न दर्जा प्राप्त
- भारतीय शेयर बाजार में पंजीकृत
- 15,000 करोड़ रुपये से अधिक औसत वार्षिक निवल मूल्य (Average Annual Net Worth) (पिछले तीन वर्षों में)
- 5,000 करोड़ से अधिक औसत वार्षिक शुद्ध लाभ (Average Annual Net Profit) (पिछले तीन वर्षों में)
- 25,000 करोड़ औसत वार्षिक व्यवसाय (Average Annual Turnover) (पिछले तीन वर्षों में)
भारत की महारत्न कंपनियाँ :-
S. No. | कंपनी का नाम | स्थापना वर्ष | मुख्यालय |
1 | भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड –भेल | 1964 | नई दिल्ली |
2 | भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड – BPCL | 1952 | मुंबई |
3 | भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड – GAIL | 1984 | नई दिल्ली |
4 | कोल इंडिया लिमिटेड – CIL | 1975 | कोलकाता |
5 | इंडियन आयल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया –IOCL | 1959 | नई दिल्ली |
6 | हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड HPCL | 1974 | मुंबई |
7 | ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड – ONGC | 1956 | देहरादून |
8 | राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम लिमिटेड – NTPC | 1975 | नई दिल्ली |
9 | पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड PGCI | 1989 | गुडगाँव |
10 | स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड – SAIL | 1954 | नई दिल्ली |
11 | पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन – PFC | 1986 | नई दिल्ली |
12. | ग्रामीण विद्युतकरण निगम – REC | 1969 | नई दिल्ली |
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 के सितम्बर माह में ग्रामीण विद्युतकरण निगम (Rural Electrification Corporation) (REC) को महारत्न कंपनी का दर्जा दिया गया है जिससे की वर्तमान में महारत्न कम्पनियों की सँख्या बढ़कर कुल 12 हो गयी है।
नवरत्न कंपनियाँ :-
देश में सार्वजनिक उद्यमों के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1997 में मूलतः नवरत्न कंपनियों का दर्जा ही सृजित किया गया था। प्रारंभ में यह दर्जा 9 सार्वजनिक उद्यमों के लिए आरक्षित किया गया था परन्तु कालांतर में इस लिस्ट में और भी सार्वजनिक उद्यमों को शामिल किया जाता रहा। नवरत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त करने के लिए किसी भी सार्वजनिक उद्यम को निम्न शर्तों को पूर्ण करना आवश्यक होता है :-
- मिनीरत्न की प्रथम सूची में स्थान
- निम्न 6 मापदंडो में 60 फीसदी स्कोर
- शुद्ध लाभ एवं नियोजित पूंजी
- कुल जनशक्ति लागत
- निवल मूल्य
- सेवा की लागत
- PBDIT(मूल्यह्रास करों एवं ब्याज से पूर्व लाभ)
- उत्पादन की कुल लागत
भारत की नवरत्न कंपनियाँ :-
S. No. | कंपनी का नाम | स्थापना वर्ष | मुख्यालय |
1 | भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड – BEL | 1954 | बंगलुरू |
2 | हिदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड –HAL | 1940 | बंगलुरू |
3 | NLC इंडिया लिमिटेड – NLC | 1956 | चेन्नई |
4 | नेशनल एल्युमिनिय कंपनी (National Aluminium Company Limited) | 1981 | उड़ीसा |
5 | इंजीनियर इंडिया लिमिटेड (Engineers India Limited) | 1965 | नई दिल्ली |
6 | राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (Rashtriya Ispat Nigam Limited) | 1982 | विशाखापत्तनम |
7 | ऑयल इंडिया लिमिटेड (Oil India Limited) | 1959 | नोएडा |
8 | रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन (Rural Electrification Corporation Limited) | 1969 | दिल्ली |
9 | महानगर निगम इंडिया लिमिटेड (Mahanagar Telephone Nigam Limited) | 1986 | नई दिल्ली |
10 | कंटेनर कॉर्पोरेशन इंडिया लिमिटेड (Container Corporation of India Limited) | 1986 | नई दिल्ली |
11 | नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (National Buildings Construction Corporation Limited) | 1960 | नई दिल्ली |
12 | शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (Shipping Corporation of India Limited) | 1950 | मुंबई |
13 | नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन (National Mineral Development Corporation Limited) | 1958 | हैदराबाद |
मिनीरत्न कंपनियाँ :-
भारत सरकार द्वारा ऐसे सरकारी उद्यमों जो की भविष्य में नवरत्न एवं महारत्न बनने की क्षमता रखते है को प्रोत्साहन देने हेतु मिनीरत्न कंपनियों का दर्जा सृजित किया गया है। सरकार द्वारा मिनीरत्न कंपनियों (Miniratna Companies) को 2 श्रेणियों में विभाजित किया गया है जो निम्नवत है :-
- मिनीरत्न श्रेणी – I (सीपीएसई की सूची)
- मिनीरत्न श्रेणी- II (सीपीएसई की सूची)
मिनीरत्न श्रेणी – I (सीपीएसई की सूची) :-
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
- बामर लॉरी एंड कंपनी लिमिटेड
- एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- भारत कोकिंग कोल लिमिटेड
- बीईएमएल लिमिटेड
- भारत डायनेमिक्स लिमिटेड
- भारत संचार निगम लिमिटेड
- केंद्रीय भंडारण निगम
- ब्रिज एंड रूफ कंपनी (इंडिया) लिमिटेड
- सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड
- चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टिट्यूट लिमिटेड
- कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड
- एडसिल (इंडिया) लिमिटेड
- कामराज पोर्ट लिमिटेड
- गोवा शिपयार्ड लिमिटेड
- गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड
- हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड
- हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड
- एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड
- हिंदुस्तान पेपर कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- एचएससीसी (इंडिया) लिमिटेड
- आवास एवं शहरी विकास निगम लिमिटेड
- भारत पर्यटन विकास निगम लिमिटेड
- इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड
- भारतीय रेलवे वित्त निगम लिमिटेड
- भारत व्यापार संवर्धन संगठन
- भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड
- इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड
- मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड
- केआईओसीएल लिमिटेड
- महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड
- मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल लिमिटेड
- मॉयल लिमिटेड
- खनिज अन्वेषण निगम लिमिटेड
- एमएमटीसी लिमिटेड
- मिश्र धातु निगम लिमिटेड
- एमएसटीसी लिमिटेड
- नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड
- राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लिमिटेड
- राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम लिमिटेड
- राष्ट्रीय बीज निगम
- नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड
- एनएचपीसी लिमिटेड
- नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- ONGC Videsh Limited
- नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड
- पवन हंस हेलीकॉप्टर लिमिटेड
- रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
- प्रोजेक्ट्स एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड
- रेल विकास निगम लिमिटेड
- राइट्स लिमिटेड
- राष्ट्रीय रसायन और उर्वरक लिमिटेड
- एसजेवीएन लिमिटेड
- सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
- दूरसंचार कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड
- साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड
- वैपकोस लिमिटेड
- वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड
- टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड
मिनीरत्न श्रेणी- II (सीपीएसई की सूची) :-
- ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड
- भारत पंप्स एंड कंप्रेसर्स लिमिटेड
- भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम
- सेंट्रल रेलसाइड वेयरहाउस कंपनी लिमिटेड
- एफसीआई अरावली जिप्सम एंड मिनरल्स इंडिया लिमिटेड
- इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड
- फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड
- इंडियन मेडिसिन्स एंड फार्मास्युटिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- एचएमटी (इंटरनेशनल) लिमिटेड
- मेकॉन लिमिटेड
- राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंट्स लिमिटेड
- राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड