भारत की संविधान सभा
संविधान सभा का गठन
संविधान निर्माण की सर्वप्रथम मांग बाल गंगाधर तिलक द्वारा 1895 में “स्वराज विधेयक” द्वारा की गई।
1916 में होमरूल लीग आन्दोलन चलाया गया।जिसमें घरेलू शासन सचांलन की मांग अग्रेजो से की गई।
1922 में गांधी जी ने संविधान सभा और संविधान निर्माण की मांग प्रबलतम तरीके से की और कहा- कि जब भी भारत को स्वाधीनता मिलेगी भारतीय संविधान का निर्माण -भारतीय लोगों की इच्छाओं के अनुकुल किया जाएगा।
नेहरू रिपोर्ट
अगस्त 1928 में नेहरू रिपोर्ट बनाई गई। जिसकी अध्यक्षता पं. मोतीलाल नेहरू ने की। इसका निर्माण बम्बई में किया गया।
इसके अन्तर्गत ब्रिटीश भारत का पहला लिखित संविधान बनाया गया। जिसमें मौलिक अधिकारों अल्पसंख्यकों के अधिकारों तथा अखिल भारतीय संघ एवम् डोमिनियम स्टेट के प्रावधान रखे गए।
इसका सबसे प्रबलतम विरोध मुस्लिम लीग और रियासतों के राजाओं द्वारा किया गया।
1929 में जवाहर लाला नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर सम्मेलन हुआ। जिसमें पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई।
1936 में कांग्रेस का फैजलपुर सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें कांग्रेस के मंच से पहली बार चुनी हुई संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण की मांग की गई।
क्रिप्स मिशन
मार्च 1942 में दुसरे विश्व युद्व से उपजी परिस्थितियों के उपरान्त क्रिप्स मिशन भारत भेजा गया। जो एक सदस्य का था। इसने युद्ध के बाद भारत में उतरदायी शासन की मांग को मानने का वचन दिया। लेकिन यहां भी ‘डोमिनियम स्टेट’ अवधारणा रखी गई।
जिसे कांग्रेस लीग और गांधीजी ने नामंजूर कर दिया।तथा गांधीजी ने इस मिशन को ‘पोस्ट डेटेड चैक’ की संज्ञा दी।
अर्थात अंग्रेज एक ऐसा दिवालिया बैंक है जो भविष्य में कभी भी फेल हो सकता है।
भारत में शासन की अव्यवस्था को देखते हुए तत्कालिन वायसराय लार्ड वेवल ने जून 1945 में शिमला में सर्वदलीय बैठक बुलायी जो किसी भी तार्किक नतीजे पर नहीं पहुंची। इस सम्मेलन को ‘शिमला सम्मेलन’ या वेवल योजना के नाम से जाना जाता है।
केबिनेट मिशन
मार्च 1946 में केबिनेट मिशन भारत भेजा गया। जिसकी अघ्यक्षता ‘सर पैथिक लारेन्स’ ने की तथा दो अन्य सदस्य सर स्टेफर्ड क्रिम्स और ए. वी. अलेक्जेण्डर थे।
इस आयोग द्वारा तत्कालीन समय में शासन का सही निर्धारण करने का प्रयास किया गया। इसकी सिफारिशों के आधार पर संविधान सभा की रचना की गई जो निम्न प्रकार है-
संविधान सभा में कुद सदस्य संख्या 389 निर्धारित की गई।
- ब्रिटीश भारत से -292 सदस्य
- चीफ कमीशनरी से – 4 सदस्य
- देशी रियासतों से – 93 सदस्य रखे गये।
ब्रिटीश भारत और चीफ कमिश्नरी क्षेत्रों से सदस्यों का निर्वाचन किया गया।
प्रत्येक 10 लाख की जनसंख्या पर 1 सदस्य को चुना जाएगा।
सदस्यों को 3 भागों में बांटा गया-
(1) सामान्य (2) मुस्लिम (3) सिख(पंजाब)
पृथक पाकिस्तान की मांग को नामंजूर कर दिया।
इसी आयोग की सिफारिशों के आधार पर जुलाई 1946 में चुनाव सम्पन्न कराए गए। जिसमें कांग्रेस ने 208 सीटें तथा मुस्लिम लीग 73 तथा अन्य 15 सीटे जीते।
चार चीफ कमिश्नरी क्षेत्रों में
- दिल्ली
- कुर्ग(कर्नाटक)
- अजमेर-मेरवाड़ा
- ब्रिटिश ब्लूचिस्तान(पाक)
इसी के आधार पर अन्तरीम सरकार का गठन 1946 में किया गया। जिसमें 2 सितम्बर 1946 से कार्य करना प्रारम्भ किया जिसमें मुस्लिम लीग ने भाग नहीं किया।
इस सरकार का अध्यक्ष तत्कालीन वायसराय लार्ड वेवल था। तथा उपाघ्यक्ष पं. जवाहर लाल नेहरू थे।
3 जून 1947 के विभाजन योजना के द्वारा पाकिस्तान के लिए पृथक संविधान सभा का गठन किया गया।
पश्चिम बंगाल व पूर्वी पंजाब के प्रान्तों मे नए निर्वाचन किए गए।
पुनर्गठित संविधान सभा में 324 सदस्यों की संख्या निश्चित की गयी ।
जब 31 अकटूबर 1947 को संविधान सभा बुलायी गयी तब उसमें 299 सदस्य थे, जिसमे 70 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे।
भारत की संविधान सभा :-
- 9 दिसम्बर, 1946 ई. को संविधान सभा की प्रथम बैठक नई दिल्ली स्थित कौंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में हुई। संविधान सभा को संबोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति जे.बी. कृपलानी थे।
- 9 दिसंबर 1946 ई. को डॉ सच्चिदानंद सिन्हा के आग्रह पर संविधान सभा के पहले उपाध्यक्ष के रूप में फ्रैंक एंथोनी को मनोनीत किया गया था ।
- सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया।
- मुस्लिम लीग ने इस बैठक का बहिष्कार किया और पाकिस्तान के लिए बिल्कुल अलग संविधान सभी की मांग कर दी।
- हैदराबाद एक ऐसी देशी रियासत थी, जिसके प्रतिनिधि संविधान सभी में सम्मिलित नहीं हुए थे।
- संविधान सभा में ब्रिटिश प्रांतों के 296 प्रतिनिधियों का विभाजन साम्प्रदायिक आधार पर किया गया- 213 समान्य, 79 मुसलमान तथा 4 सिख।
- संविधान सभी के सदस्यों में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या 33 थी।
- संविधान सभी में महिला सदस्यों की संख्या 15 थी।
- 11 दिसम्बर 1946 ई. को डॉ . राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष और हरेंद्र कुमार मुखर्जी उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- संविधान सभा की कार्यवाही 13 दिसम्बर, 1946 ई. को जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रेश किए गए उद्देय प्रस्ताव के साथ प्रारंभ हुई।
- 22 जनवरी 1947 ई. को उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद संविधान सभा ने संविधान निर्माण हेतु अनेक समितियां नियुक्त की।
- 16 जुलाई 1948 को वी.टी. कृष्णामचारी संविधान सभा के दूसरे उपाध्यक्ष निर्वाचित किये गये।
- बेनेगल नरसिम्हा राव भारतीय संविधान निमार्ण के समय ये संवैधानिक सलाहकार थे। बी॰ एन॰ राव और सच्चिदानंद सिन्हा ने भारतीय संविधान का प्रथम प्रारूप निर्माण किया था।
संविधान सभा की समितियां :-
- नियम समिति -डा. राजेन्द्र प्रसाद
- संचालन समिति- डा. राजेन्द्र प्रसाद
- रियासत समिति- डा. राजेन्द्र प्रसाद
- प्रारूप समिति -डा़.भीमराव अम्बेडकर
- संघ समिति- जबाहर लाल नहेरू
- संघ संविधान समिति- जबाहर लाल नहेरू
- प्रान्तीय संविधान समिति – सरदार वल्लभ भाई पटेल
- सलाह कार समिति- सरदार वल्लभ भाई पटेल
- मूल अधिकार उप समिति- जे.बी कृपलानी
- अल्पसंख्यक उप समिति और झण्डा समिति – जे.बी कृपलानी
प्रारूप समिति का गठन :-
बी.एन.राव द्वारा तैयार किए गए संविधान के प्रारूप पर विचार विमर्श करने के लिए संविधान सभा द्वारा 29 अगस्त, 1947 ई. को एक संकल्प पारित करके प्रारूप समिति का गठन किया गया । प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ . भीमराव अम्बेडकर को चुना गया।
प्रारूप समिति में सदस्यों की संख्या 7 थी-
1- डॉ. भीमराव अम्बेडकर
2-एन. गोपाल स्वामी आयंगर
3-अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर
4- कन्हैयालाल मणिकलाल मुंशी
5- सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला
6- एन. माधव राव (बी.एल. मित्र के स्थान पर)
7- डी.पी. खेतान (1948 ई. में इनकी मृत्यु के बाद टी.टी. कृष्णमाचारी को सदस्य बनाया गया।
संविधान सभा में डॉ. भीमराव अम्बेडकर का निर्वाचन प. बंगाल से हुआ था।
संविधान सभा का पुनर्गठन :-
3 जून 1947 ई. को योजना के अनुसार देश का बंटवारा हो जाने से भारतीय संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 324 हो गयी, जिसमें 235 स्थान प्रांतों के लिए और 89 स्थान देशी राज्यों के लिए थे।
देश विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर 1947 ई. को किया गया और 31 दिसम्बर 1947 ई. को संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 299 थी, जिसमें प्रांतीय सदस्यों की संख्या 229 एवं देशी रियासतों के सदस्यों की संख्या 70 थी।
प्रारूप समिति की रिपोर्ट एवं संविधान का वाचन :-
- प्रारूप समिति ने संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने के बाद 21 फरवरी, 1948 ई. को संविधान सभा को अपनी रिपोर्ट पेश की।
- संविधान सभा में संविधान का प्रथम वाचन 4 नवम्बर से 9 नवम्बर 1948 ई. तक चला। संविधान का दूसरा वाचन 15 नवम्बर 1948 ई. को प्रारंभ हुआ जो 17 अक्टूबर 1949 ई. तक चला। संविधान सभा का तीसरा वाचन 14 नवंबर 1949 ई. को प्रारंभ हुआ जो 26 नवंबर 1949 ई. तक चला और संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया। इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे।
- संविधान निर्माण प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष 11 महीना और 18 दिन लगे। संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई। संविधान निर्माण कार्य में कुल मिलाकर 6396729 रू. व्यय हुए।
- संविधान में कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थीं। वर्तमान समय में 22 भाग 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं।
- संविधान के कुल अनुच्छेदों में से 15 अर्थात् 5,6,7,8,9,60, 366,367,372,380,388, 391,392 तथा 393 अनुच्छेदों को 36 नवम्बर 1949 को ही प्रवर्तित कर दिया गया जबकि शेष अनुच्छेदों को 26 जनवरी 1950 ई. को लागू किया गया।
- संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 ई. को हुई और उसी दिन संविधान सभा के द्वारा डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।
संविधान सभा के सत्र :-
- पहला सत्र : 9-23 दिसंबर, 1946
- दूसरा सत्र : 20-25 जनवरी, 1947
- तीसरा सत्र : 28 अप्रैल – 2 मई, 1947
- चौथा सत्र : 14-31 जुलाई, 1947
- पाँचवां सत्र : 14-30 अगस्त, 1947
- छठा सत्र : 27 जनवरी, 1948
- सातवाँ सत्र : 4 नवंबर, 1948 – 8 जनवरी, 1949
- आठवाँ सत्र : 16 मई-16 जून, 1949
- नौवां सत्र : 30 जुलाई-18 सितंबर, 1949
- दसवां सत्र : 6-17 अक्टूबर, 1949
- ग्यारहवां सत्र : 14-26 नवंबर, 1949
केंद्रीय मंत्री मंडल :-
- जवाहरलाल नहेरू- कार्यकारी परिषद् के उपाध्यक्ष
- वल्लभ भाई पटेल- गृह सूचना प्रसारण
- बलदेव सिहं – रक्षामन्त्री
- सी राजगोपालचारी – शिक्षा मन्त्री
- राजेन्द्र प्रसाद ,- कृषि एवं खाद्य
- आसफअली – रेलमन्त्री
- जगजीवनराम – श्रम मन्त्री
- जॉन मथाई- उद्योग एवं आपूर्ति मन्त्री
- जोगेन्द्र नाथ मण्डल – विधि मन्त्री
- आई-आई चुन्दरीगर- वाणिज्य मन्त्री
- अली खान – स्वस्थ्य मन्त्री
- मावलंकर- अंतरिम सभाध्यक्ष
संविधान सभा से महत्वपूर्ण दिनांक
- 11 दिसम्बर 1946 डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया।
- 13 दिसम्बर 1946 संविधान सभा में नहेरू ने उदेश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
- 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा द्वारा उदेश्य प्रस्ताव स्वीकृत हुआ।
- 29 अगस्त 1947 को भीम राव अम्बेडकर की अध्यक्षता मे प्रारूप समिति का गठन हुआ।
- 4 नवम्बर 1947 संविधान सभा का प्रथम वाचन
- 15- 16 नवम्बर 1948 को द्वितीय वाचन
- 17-26 नवम्बर 1949 तीसरा वाचन को सम्पन्न हुआ।
- 26 नवम्बर 1949 को संविधान अंगीकृत किया गया ।
- 22जुलाई 1947 राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार किया गया।
- 24 जनवरी को राष्ट्रीय गान स्वीकार किया गया ।
- 1 दिसंबर, 1947 की स्थिति के अनुसार भारत की संविधान सभा के सदस्यों की राज्य वार संख्या प्रांत – 229
संविधान सभा में महिलाओं की संख्या एवं नाम
भारत की संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं।
- दुर्गाबाई देशमुख
- राजकुमारी अमृत कौर
- हंसा मेहता
- बेगम ऐजाज रसूल
- अम्मू स्वामीनाथन
- सुचेता कृपलानी
- दकश्यानी वेलयुद्धन
- रेनुका रे,
- पुर्निमा बनर्जी,
- एनी मसकैरिनी
- कमला चौधरी
- लीला रॉय
- मालती चौधरी
- सरोजिनी नायडू
- विजयलक्ष्मी पंडित