भारत में कृषि :-
- विश्व में चावल उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है।
- भारत में खाद्यानों के अंतर्गत आने वाले कुल क्षेत्र के 47%भाग पर चावल की खेती की जाती है।
- विश्व में गेहूं के उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है।
- देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 15%भाग पर गेहू की खेती की जाती है।
- देश में गेहू के उत्पादन में उत्तरप्रदेश का प्रथम स्थान है
- जबकि प्रति हेक्टेयर उत्पादन में पंजाब का स्थान प्रथम है।
- भारत में हरित क्रांति लाने का श्रेय डा. एम. एस. स्वामीनाथन को जाता है।
- भारत में हरित क्रांति की शुरूआत 1967-68 ई. में हुई।
- भारत की द्वितीय हरित क्रांति 1983-84 में हुई जिसमें अधिक आनाज उत्पादन, निवेश एवं कृषकों को दी जाने वाली सेवाओं का विस्तार हुआ।
- भारत को 15 कृषि जलवायुवीय क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
- खरीफ की फसल को जून-जुलाई में बोया जाता है तथा अक्टूबर-नवम्बर में काट लिया जाता है।
- रबी की फसल मुख्य रूप से शीत ऋतु की फसल है
- इसे अक्टूबर-नवम्बर में बोया जाता है तथा अप्रैल-मई में काट लिया जाता है।
- रबी की फसल ऋतु और खरीफ की फसल ऋतु के बीचबो ई जाने वाली फसल को जायद की फसल कहा जाता है
- खेतों को कीट-पतंगों तथा खरपतवारों से बचाने के लिए मुख्य फसल के साथ जो फसल उगाई जाती है उसे हम ट्रैप क्रॉप कहते हैं
सबसे बड़े कृषि उत्पादक राज्य और फसलें :-
- भारत में सबसे बड़ा केला उत्पादक राज्य तमिलनाडु है!
- भारत में सबसे बड़ा अमरूद उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश है!
- भारत में सबसे बड़ा अंगूर उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है!
- भारत में सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य जम्मू और कश्मीर है!
- भारत में सबसे बड़ा नारियल उत्पादक राज्य तमिलनाडु है!
- भारत में सबसे बड़ा सुपारी उत्पादक राज्य कर्नाटक है!
- भारत में सबसे बड़ा कोको उत्पादक राज्य केरल है!
- भारत में सबसे बड़ा काजू उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है!
- भारत में सबसे बड़ा लीची उत्पादक राज्य बिहार है!
- भारत में सबसे बड़ा बैंगन उत्पादक राज्य ओडिशा है!
- भारत में सबसे बड़ा कुल मसाला उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश है!
- जम्मू और कश्मीर भारत का सबसे बड़ा अखरोट उत्पादक राज्य है!
प्रमुख कृषि विधियाँ :-
- सेरीकल्चर ———- रेशमकीट पालन
- एपिकल्चर ———- मधुमक्खी पालन
- पिसीकल्चर ———- मत्स्य पालन
- फ्लोरीकल्चर ———- फूलों का उत्पादन
- विटीकल्चर ———- अंगूर की खेती
- वर्मीकल्चर ———- केंचुआ पालन
- पोमोकल्चर ———- फलों का उत्पादन
- ओलेरीकल्चर ———- सब्जियों का उत्पादन
- हॉर्टीकल्चर ———- बागवानी
- एरोपोर्टिक ———- हवा में पौधे को उगाना
- हाइड्रोपोनिक्स ———- पानी में पौधों को उगाना
प्रमुख कृषि क्रांति का नाम और संबंधित उत्पाद :-
- पीली क्रांति—- तेल बीज उत्पादन
- काली क्रांति—-पेट्रोलियम उत्पादों
- नीली क्रांति—-मछली उत्पादन
- ब्राउन क्रांति—-चमड़ा / कोको / गैर परंपरागत उत्पाद
- गोल्डन फाइबर—-क्रांति जूट उत्पादन
- स्वर्ण क्रांति—- फल / शहद उत्पादन
- ग्रे क्रांति —-उर्वरक
- गुलाबी क्रांति—-प्याज उत्पादन / फार्मास्यूटिकल्स / झींगा मछली उत्पादन
- रजत क्रांति—-अंडा उत्पादन
- रजत फाइबर क्रांति—-कपास
- लाल क्रांति—-मांस उत्पादन / टमाटर उत्पादन
- गोल क्रांति—-आलू
- हरित क्रांति—-खाद्यान्न उत्पादन
- श्वेत क्रांति—-दूध उत्पादन
भारत की प्रमुख फसलें :-
चावल – पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल भारत में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है,
इसके बाद उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पंजाब राज्य आते हैं।
बंगाल राज्य मे चावल को अक्सर समृद्धि और उर्वरता से जोड़ा जाता है।
हरी सब्जियां – पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल भारत में ताजा सब्जियों का सबसे बड़ा उत्पादक है,
इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश हैं।
भारत अदरक, भिंडी और आलू, प्याज, फूलगोभी, बैगन और गोभी के निर्यात का सबसे बड़ा उत्पादक है।
जूट – पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल भारत में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है,
इसके बाद बिहार, असम और आंध्र प्रदेश आते हैं।
कपास के बाद जूट दूसरा सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक फाइबर है और दुनिया में सबसे सस्ती प्राकृतिक फाइबर भी है।
गेहूं – उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक राज्य है, इसके बाद पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश हैं। उत्तर प्रदेश में कृषि प्रमुख व्यवसाय है। गेहूं राज्य की प्रमुख खाद्य फसल है और गन्ना मुख्य व्यावसायिक फसल है।
गन्ना – उत्तर प्रदेश
भारत में गन्ने की फसल खरीफ या मानसून की फसल होती है, जो बारिश के मौसम में होती है। उत्तर प्रदेश भारत में गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।
कपास – गुजरात
भारत का गुजरात राज्य कपास का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बाद महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक आते है। देश में कुल कपास उत्पादन में गुजरात का 35% योगदान है। गुजरात में कपास की खेती का कुल क्षेत्रफल 2.45 मिलियन हेक्टेयर है!
गुजरात राज्य भारत में मूंगफली का भी सबसे बड़ा उत्पादक है
चाय – असम
असम भारत में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बाद पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत के अन्य राज्य हैं। भारत में सबसे लोकप्रिय चाय के प्रकार असम चाय, नीलगिरी चाय, दार्जिलिंग चाय और कांगड़ा चाय हैं!
कॉफी – कर्नाटक
कर्नाटक भारत में कॉफी का सबसे बड़ा उत्पादक है,
इसके बाद केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश का स्थान है।
कर्नाटक भी बड़ी मात्रा में मक्का, चाय और सूरजमुखी का उत्पादन कर रहा है!
दाल – मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश भारत का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक राज्य है, इसके बाद उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान हैं। मध्य प्रदेश राज्य सोयाबीन और लहसुन का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य भी है!सोयाबीन को भारत में खरीफ फसल के रूप में उगाया जाता है, भारत के शीर्ष तीन सोयाबीन उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान हैं!
रबर – केरल
केरल भारत में रबड़ का सबसे बड़ा उत्पादक है, इसके बाद तमिलनाडु, उत्तर पूर्व राज्य त्रिपुरा और कर्नाटक हैं। केरल राज्य काली मिर्च, छोटी इलायची और अच्छी मात्रा में लौंग और अन्य भारतीय मसालों के साथ-साथ विदेशी फलों का भी सबसे बड़ा उत्पादक है!
मक्का – आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश का भारत मे मक्का उत्पादक राज्यों का कुल मक्का उत्पादन में 80% से अधिक का योगदान है, आंध्र प्रदेश के बाद मक्का की खेती करने वाला सबसे बड़ा राज्य कर्नाटक, राजस्थान और महाराष्ट्र है!
सूरजमुखी – कर्नाटक
भारत देश में प्रमुख छह राज्य सूरजमुखी के प्रमुख उत्पादक हैं। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, उड़ीसा और तमिलनाडु द्वारा 7.94 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र से और 3.04 लाख टन के उत्पादन के साथ कर्नाटक भारत के प्रमुख सूरजमुखी उत्पादक राज्य हैं।
भारत में प्रमुख फसले और उनका वर्गीकरण
जीवन चक्र के अनुसार
एक वर्षी फसलें – ये फसलें अपना जीवन चक्र एक वर्ष या इससे कम समय में पूरा करती है जैसे – धान, गेहू, जौ, चना, सोयाबीन
द्विवर्षी फसलें – ऐसे पौधे में पहले वर्ष उनमें वानस्प्तिक वृद्धि होती है
और दूसरे वर्ष उनक फूल और बीज बनते हैं वे अपना जीवन चक्र दो वर्ष में पूरा करते हैं
जैसे – चुकन्दयर और गन्ना आदि
बहुवर्षी फसलें – ऐसे पौधे अनेक वर्षों तक जीवित रहते हैं इनके जीवन चक्र में प्रतिवर्ष या एक वर्ष के अंतराल पर फूल और फल आते हैं जैसे – लूसर्न, नेपियर घास
ऋतुओं के अधार पर :-
खरीफ की फसल – इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान एवं आद्रता तथा पकते समय शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती है उत्तर भारत में इसे जून-जुलाई में बोते हैं धान, बाजरा, मूंग , मूँगफली , गन्ना इस ऋतु की प्रमुख फसलें हैं।
रबी की फसल – इन फसलों को बोआई के समय कम तापमान तथा पकते समय शुष्क और गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है ये फसलें अक्टूबर-नवम्बर में महीनों में बोई जाती हैं। गेहॅू, जौ, चना, मसूर, सरसों इस ऋतु की प्रमुख फसलें हैं।
जायद की फसल – ये फसलें मार्च-अप्रैल में बोई जाती है इस फसलें में तेज गर्मी और शुष्क हवाओं को सहन करने की अच्छी क्षमता होती है तरबूज, ककडी, खीरा, इस ऋतु की प्रमुख फसलें हैं
उपयोग के आधार पर :-
हरी खाद की फसलें – इसके लिए फलीदार फसलें अधिक उपयुक्त होती है जैसे – सनई, ढैंचा, मूंग , आदि
भूमि संरक्षण फसलें – ये फसलें अत्यसधिक वृद्धि के कारण भूमि को ढक लेती हैं जिससे हवा तथा वर्षा से होने वाले कटाव से भूमि की रक्षा करती हैं जैसे – सोयाबीन, लोबिया, मूंग आदि
नकदी फसलें – ये धन कमाने वाली फसलों के नाम से जानी जाती हैं जैसे – गन्ना , आलू, तम्बाकू, सोयाबीन आदि।
खाद्यान फसलें :- इन फसलों का उत्पादन खाद्य पदार्थ बनाने के लिए किया जाता है । जैसे गेहु , चावल , मक्का , बाजरा , चना आदि ।
सूचक फसलें – यह फसलें जो पोषक पादार्थों की भूमि में कमी होने पर तुरन्त उनके ऊपर कमी के लक्षण प्रकट करने लगती है जैसे -मक्का
भारत के कृषि प्रदेश :-
कृषि प्रदेश वह भौगोलिक प्रदेश है, जिसकी सीमा के अंतर्गत फसलों की समरूपता पायी जाती है । भारत के कृषि प्रादेशीकरण की दिशा में अनेक कार्य किये गये हैं । इन कार्यों को अनुभवाश्रित तथा सांख्यिकी विधियों के माध्यम से किया गया है ।
भारत के कृषि प्रादेशीकरण की दिशा में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कार्य कृषि वैज्ञानिक रन्धावा (Randhava) तथा सेन गुप्ता (Sen Gupta) द्वारा किया गया है । इन विद्वानों ने फसलों की समरूपता के साथ-साथ स्थलाकृतिक-विशेषताएँ, जलवायु, मृदा और जनसंख्या जैसे कारकों का विश्लेषण करते हुए भारत को निम्नलिखित 6 प्रमुख कृषि प्रदेशों में विभाजित किया है –
- फल और सब्जी प्रदेश
- चावल, चाय और जूट प्रदेश
- गेहूँ, और गन्ना प्रदेश
- ज्वार, बाजरा और तिलहन प्रदेश
- मक्का तथा मोटे अनाज का प्रदेश, तथा
- कपास प्रदेश
1. फल और सब्जी प्रदेश :-
फल एवं सब्जी प्रदेश के अंतर्गत मुख्यतः हिमालय क्षेत्र और पूर्वोंत्तर भारत को रखा जाता है । भौगोलिक विशेषताओं के आधार पर इस कृषि प्रदेश को पुनः दो भागों में विभाजित किया जाता है –
- पूर्वी हिमालय प्रदेश, तथा
- पश्चिमी हिमालय प्रदेश ।
- पूर्वी हिमालय प्रदेश –
इस प्रदेश का औसत तापमान 230 से 290 सेल्सियस है, जबकि वार्षिक वर्षा 200 सेमी. से अधिक होती है । कुल मिलाकर यह एक उष्ण आर्द्र प्रदेश है । इस प्रदेश के अनानास, केला और नारंगी, प्रमुख फल हैं । आलू सबसे प्रमुख सब्जी है । लेकिन पर्वतीय और पठारी क्षेत्रों में विविध प्रकार की हरी सब्जियाँ भी उत्पन्न की जाती हैं ।
2.पश्चिमी हिमालय प्रदेश –
यह शीतोष्ण जलवायु का क्षेत्र है । यहाँ सामान्यतः तापमान 230 सेल्सियस से कम होता है । यहाँ वार्षिक वर्षा 100 सेमी. से कम होती है । कम तापमान और कम वर्षा के कारण यह प्रदेश शीतोष्ण फलों के लिए अनुकूल है । यहाँ उत्पन्न होने वाले फलों में सेब, अंगूर, अखरोट तथा विविध प्रकार के बेरी प्रमुख हैं । यह सही अर्थों में रसदार फलों का क्षेत्र है । भारत का करीब तीन-चैथाई सेब सिर्फ जम्मू एवं कश्मीर राज्य में होता है । भारत का करीब 80 : अखरोट भी जम्मू-कश्मीर में होता है । सेब और अखरोट के उत्पादन में हिमाचल प्रदेश का दूसरा स्थान है ।
2. चावल, चाय और जूट प्रदेश
चावल, चाय और जूट का प्रदेश भारत का वह आर्द्र प्रदेश है, जहाँ वार्षिक वर्षा 400-200 से.मी. के बीच होती है । इसके अंतर्गत भारत के अधिकतर मध्यवर्ती और तटीय मैदानी क्षेत्र आते हैं । चावल यहाँ की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण फसल है । तीन-चैथाई से अधिक कृषि भूमि में चावल की कृषि होती है । यह भारत का जीवन निर्वाह कृषि क्षेत्र है ।
चाय की कृषि दूसरे फसल के रूप में बिहार के उत्तरी-पूर्वी मैदान यानि मुख्यतः किशनगंज जिला, उत्तरी पश्चिमी बंगाल मुख्यतः सिलीगुड़ी और कूच बिहार जिला तथा ब्रह्मपुत्र घाटी के उत्तरी मैदानी क्षेत्र में होती है । जूट की कृषि बिहार के पूर्वी मैदान, पश्चिम बंगाल के मैदान, पश्चिमी ब्रह्मपुत्र मैदान तथा महानदी और गोदावरी के डेल्टाई क्षेत्रों में होती है ।
चावल में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान है । इसके बाद क्रमशः पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश का स्थान आता है ।
3. गेहूँ और गन्ना कृषि प्रदेश –
यह प्रदेश भारत का नहर सिंचित क्षेत्र है । सही अर्थों में यह प्रथम चरण का हरित क्रांति क्षेत्र है । इसी के अंतर्गत पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के गंगानगर जिलों को रखा जाता है । नहर सिंचाई के विकास के पूर्व इस क्षेत्र में मोटे अनाज तथा तिलहन प्रमुख फसल थी । लेकिन नहर सिंचाई के विकसित होते ही गेहूँ और गन्ना को प्राथमिकता मिली है । इसी प्रदेश में भारत का लगभग 3/4 गेहूँ उत्पन्न होता है । यह प्रदेश भारत का करीब 40 गन्ना भी उत्पन्न करता है । हाल के वर्षों में चावल और कपास भी प्रमुख फसलों के रूप में उभर कर आये हैं । सिंचाई-सुविधा और संकर बीज के प्रयोग से इन फसलों का महत्त्व तेजी से बढ़ रहा है ।
4. ज्वार, बाजरा एवं तिलहन कृषि प्रदेश
ज्वार, बाजरा एवं तिलहन कृषि प्रदेश पठारी भारत के उन क्षेत्रों की विशेषता है, जहाँ प्रथमतः लेटेराइट अथवा लाल मृदा पाई जाती है । साथ ही वार्षिक वर्षा 75-125 से.मी. के मध्य हो । इन दो परिस्थितियों के अंतर्गत दक्षिणी पठारी भारत के अधिकांश क्षेत्र आते हैं, जो सामान्यतः भारत का सूखा प्रभावित क्षेत्र है । ये मूलतः एकफसली क्षेत्र हैं अर्थात् वर्ष में एक बार वर्षा ऋतु के समय ही फसल उत्पन्न की जाती हैं । सामान्यतः प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कम है । अच्छी मानसून की स्थिति में सभी कृषि योग्य भूमि पर फसल लगाई जाती है। लेकिन यदि मानसून अनिश्चित हो, तो परती भूमि में काफी वृद्धि हो जाती है । अधिकतर कृषि-कार्य परंपरागत विधि और उपकरणों की मदद से होता है ।
5. मक्का तथा मोटे अनाज का कृषि प्रदेश
मक्का एवं मोटे अनाज की कृषि मुख्यतः उन क्षेत्रों में होती है, जहाँ निम्नलिखित दो शर्तें पूरी होती हैं । प्रथमतः वार्षिक वर्षा 75 सेमी. से कम हो और दूसरा मृदा की विशेषताएँ बलुई, लेटेराइट अथवा लाल प्रकार की हो । इन दोनों ही परिस्थितियों से प्रभावित क्षेत्र भारत के इन चार भौगोलिक क्षेत्रों में पाये जाते हैं – (क) प्रायद्वीपीय पठारी भारत का वृष्टि छाया क्षेत्र, (ख) संपूर्ण राजस्थान, (ग) उत्तरी गुजरात, तथा (घ) तमिलनाडु का दक्षिणी-पूर्वी क्षेत्र ।
इन प्रदेशों में भी मानसून की अनिश्चितता के कारण कृषि गहनता की कमी है । प्रायः प्रतिवर्ष परती भूमि छोड़ी जाती है। भारत में राजस्थान में सर्वाधिक परती भूमि है । इन प्रदेशों में कम वर्षा के कारण मोटे अनाज और जनसंख्या दबाव कम होने के कारण प्रति व्यक्ति जोत का आकार बढ़ जाता है । जहाँ भी सिंचाई सुविधा उपलब्ध है, वहाँ चावल और कपास जैसी फसल भी उत्पन्न हो जाती है । लेकिन अधिकतर क्षेत्रों में मक्का और मोटे अनाज ही प्रमुख फसल हैं ।
6. कपास कृषि प्रदेश
भारत का कपास क्षेत्र काली मृदा का क्षेत्र है । यह विश्व का सबसे बड़ा कपास क्षेत्र है । कुल बोयी गयी भूमि की दृष्टि से कपास से अधिक क्षेत्र ज्वार के अंतर्गत आते हैं, क्योंकि यही फसल इस प्रदेश का प्रमुख खाद्य पदार्थ है । लेकिन यह एक जीवन निर्वाह फसलहै । इसके विपरीत कपास व्यापारिक और औद्योगिक महत्त्व की फसल है । भारत विश्व के वृहतम् कपास उत्पादक देशों में से है । महाराष्ट्र और गुजरात के औद्योगीकरण का प्रमुख कारण इन प्रदेशों में कपास की कृषि का होना ही है । इन दो राज्यों के अतिरिक्त मालवा का पठार, तेलंगाना-पठार, मैसूर पठार के अंतर्गत बंगलौर तथा मैसूर के बीच का क्षेत्र तथा तमिलनाडु के अंतर्गत कोंयबटूर – मदुरै उच्च भूमि कपास की कृषि के लिए प्रसिद्ध है ।
यद्यपि कपास प्रमुख माली फसल (Cash Crop) है, लेकिन ट्यूबवेल सिंचाई विकास के कारण इन प्रदेशों में गन्ने की कृषि भी प्रारम्भ हुई है । महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और गुजरात का सूरत जिला गन्ने की कृषि में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं ।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना :-
जनवरी 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया था। इस योजना का लक्ष्य फसल का नुकसान होने की स्थिति में किसानों को बीमा लाभ देना, किसानों की आय को स्थिर बनाना और किसानों को खेती के आधुनिक तौर-तरीके अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना, इत्यादि है।
मेगा फूड पार्क :-
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने 2008 में मेगा फूड पार्क योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का लक्ष्य कृषि उत्पादन को बाजार से जोड़ने वाले एक तंत्र का निर्माण करना है। इसमें क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के साथ किसानों, प्रसंस्करण कंपनियों और रीटेलरों को शामिल किया जाता है। योजना के अपेक्षित परिणामों में किसानों को कृषि उत्पादों की उच्च कीमत, अच्छी क्वालिटी के खाद्य प्रसंस्करण इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना, खाद्य पदार्थों की बर्बादी का कम होना और कारगर खाद्य आपूर्ति श्रृंखला का सृजन इत्यादि शामिल है। कंपनी एक्ट, 2013 के तहत गठित स्पेशल पर्पज वेहिकल के जरिए इस योजना को लागू किया गया।
कृषि मूल्य :-
• केंद्र या राज्य सरकारें कृषि उत्पादों की खरीद करती हैं। भारतीय खाद्य निगम कृषि उत्पादों की खरीद, स्टोरेज, मूवमेंट, वितरण और बिक्री का काम करता है
• न्यूनतम समर्थन मूल्य ऐसा मूल्य होता है, जिस पर सरकार किसानों से खाद्यान्न की खरीद करती है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) :-
एमएसपी वह कीमत होती है, जिस पर केंद्र सरकार किसानों से खाद्यान्नों की खरीद करती है। किसानों को लाभकारी मूल्य प्राप्त हो, यह सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार एमएसपी का निर्धारण करती है। एमएसपी को निर्धारित करने के लिए जिन बातों पर विचार किया जाता है, उनमें पैदावार और उत्पादन की कीमत, फसल की उत्पादकता और बाजार मूल्य शामिल हैं।फसल का अधिक एमएसपी मिलने पर किसानों को खेती की आधुनिक तकनीक और तौर-तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है। सरकार ने 22 फसलों के लिए एमएसपी (और चीनी के लिए उचित और लाभकारी मूल्य) की घोषणा की है लेकिन सार्वजनिक वितरण प्रणाली, जिसके लिए खाद्यान्नों की खरीद की जाती है, मुख्य रूप से लाभार्थियों को गेहूं और चावल का वितरण ही करती है। चूंकि केवल गेहूं और चावल की ही खरीद की जाती है