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गुप्तोत्तर काल का इतिहास
गुप्तोत्तर काल का इतिहास भारत के राजनीतिक इतिहास में गुप्त वंश के पतन् के पश्चात् विकेन्द्रीकरण एवं क्षेत्रीयता का आविर्भाव हुआ। गुप्त वंश के पश्चात् अनेक छोटे-छोटे राज्य बने जैसे – थानेश्वर का पुष्य भूति वंश, कन्नौज का मौखिरी वंश आदि प्रमुख राज्य थे। पुष्यभूति/वर्धन वंश :- इस वंश की स्थापना पुष्यभूति ने थानेश्वर में…
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गुप्त काल का इतिहास
गुप्त काल का इतिहास :- गुप्त काल का इतिहास गुप्त काल के बारे में जानने के साक्ष्य साहित्यिक साक्ष्य :- पूरातात्विक साक्ष्य :- गुप्त वंश के शासक श्रीगुप्त :- प्रभावती गुप्त का पूना स्थित ताम्रपत्र अभिलेख के अनुसार श्री गुप्त को गुप्त वंश का आदिराज/आदिपुरूष माना गया है। अतः गुप्त वंश की स्थापना का…
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मौर्योत्तर काल का इतिहास
मौर्योत्तर काल का इतिहास (185 ई.पू. – 300 ई.) मौर्योत्तर कालीन इतिहास के बारे में जानने हेतु साक्ष्य साक्ष्य पुरातात्विक साक्ष्य मौर्योत्तर कालीन सिक्के साहित्यिक साक्ष्य रूद्रदामन का गिरनार या जूनागढ़ अभिलेख, अयोध्या अभिलेख, हाथीगुफा अभिलेख, नासिक प्रसस्ति, अमरावती अभिलेख, बेसनगर अभिलेख, कन्हेरी अभिलेख गार्गी संहिता, मालविकाग्निमित्रम, दिव्यावदान, मिलिन्द पन्हो, महाभाष्य, पेरीप्लस आॅफ – इरिर्थियन…
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मौर्यकाल का इतिहास
मौर्यकाल का इतिहास मौर्यकाल के बारे में जानने के स्त्रोत :- मौर्य के बारे में जानकारी प्राप्त करने के पुरातात्विक और साहित्यिक दोनों प्रकार के स्त्रोत उपलब्ध है । साहित्यिक स्त्रोत :- बौद्ध साहित्य: दीप वंश, महावंश, दिव्यावदान, जातक जैन साहित्य – कल्पसूत्र अन्य साहित्य: पुराण, मुद्राराक्षस, इण्डिका, कथासरित सागर, वृहत कथा मंजरी पुरातात्विक स्त्रोत…
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प्राचीन काल में भारत पर विदेशी आक्रमण
प्राचीन काल में भारत पर विदेशी आक्रमण मौर्य काल से पहले भारत पर 2 महत्वपूर्ण विदेशी आक्रमण हुए , जिन्होने भारत की सामाजिक , राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया वह इस प्रकार है – पारसी(हखमनी ईरानी) आक्रमण :- भारत पर प्रथम विदेशी आक्रमण ईरान के हखमनी वंश के राजाओं ने किया। हखमनी वंश…
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बौद्ध धर्म
स्थापना – बौद्ध धर्म के संस्थापक एवं प्रवर्तक सिद्धार्थ(गौतम बुद्ध) थे। गौतम बुद्ध का जीवन परिचय :- जन्म: 563 ई.पू. लुम्बिनी (कपिलवस्तु) पिता: शुद्धोधन(शाक्य क्षत्रिय कुल, कपिल वस्तु के शासक) माता: महामाया(कोलिय वंश) पालन पोषण: सिद्धार्थ के जन्म के 1 सप्ताह में ही उनकी माता महामाया की मृत्यु हो गयी थी। इस कारण सिद्धार्थ का…
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जैन धर्म
प्राचीन भारत में धार्मिक सुधार आन्दोलन जैन धर्म बौद्ध धर्म धार्मिक आन्दोलन के कारण :- उत्तरवैदिक काल से वर्णव्यवस्था का जटिल हो जाना। धार्मिक जीवन आडंबरपूर्ण, यज्ञ एवं बलि प्रधान बन चुका था। उत्तरवैदिक काल के अंत तक धार्मिक कर्मकाण्डों एवं पुरोहितों के प्रभुत्व के विरूद्ध विरोध की भावना प्रकट होने लगी थी। उत्तर-पूर्वी भारत…
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महाजनपद काल
महाजनपद काल (600 ई.पू. से 325 ई.पू.) स्त्रोत बौद्ध साहित्य – अंगुत्तर निकाय तथा महावस्तु से 16 महाजनपदों के विषय में जानकारी मिलती है। सुत्त पिटक तथा विनय पिटक से महाजनपद काल की जानकारी मिलती है। जैन साहित्य – भगवती सूत्र से 16 महाजनपदों की सूचना मिलती है। विदेशी विवरण – नियार्कस, जस्टिन, प्लूटार्क, अरिस्टोबुलस…
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उत्तरवैदिक काल
उत्तरवैदिक काल (1000-600 ई.पू.) ऋग्वेद के बाद प्राचीन भारत में जिस काल का आगमन हुआ वह काल उत्तरवैदिक काल था। इस काल की जानकारी पुरातात्विक तथा साहित्यिक स्रोतों से मिलती है। पुरातात्विक स्रोत- अतरंजीखेङा– सर्वप्रथम लौह उपकरण अतरंजीखेङा से ही प्राप्त हुए हैं तथा यहां से सर्वाधिक लौह उपकरण भी प्राप्त हुए हैं। यहां से…
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ऋग्वैदिक काल
वैदिक युग(ऋग्वैदिक काल) वैदिक सभ्यता(1500 ई.पू.से 600ई.पू.)- सिंधु सभ्यता के पतन के बाद भारत में एक बार फिर से ग्रामीण सभ्यता का उद्भव हुआ, जिसके प्रर्वतक आर्य थे जिसे वैदिक सभ्यता नाम दिया गया । यह सभ्यता प्राचीन भारत की सभ्यता है। वैदिक काल 1500 ई.पू. से 600 ई.पू. तक रहा। सामान्यत: यह माना जाता…