ई-कॉमर्स :-
E-commerce इंटरनेट के माध्यम से उद्योग करने को ई-कॉमर्स या इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कहते हैं। सरल शब्दों में इंटरनेट की वर्चुअल दुनिया पर अपनी सर्विस, या सेवा प्रदान करना ही ई-कॉमर्स कहलाता है। इन सेवाओं के अंतर्गत इंटरनेट पर सामान को खरीदना और बेचना, मार्केटिंग करना, सामान को पते पर डिलीवर करना, बिल का ऑनलाइन भुगतान करना, ऑनलाइन बैंकिंग करना आदि आते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स की शुरुआत 1960 में हुई थी जब दुनिया भर की अनेक कंपनियों ने इंटरनेट के के फीचर इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज (EDI) की मदद से बिज़नेस डाक्यूमेंट्स को दूसरी कंपनियों के साथ शेयर करना शुरू किया। E-commerce
इतिहास :-
- 1969 – CompuServe की स्थापना हुई
- 1979 – माइकल एल्ड्रिच ने इलेक्ट्रॉनिक शॉपिंग का आविष्कार किया
- 1981 – Thomson Holidays UK पहला B2B ऑनलाइन शॉपिंग सिस्टम शुरु हुआ
- 1982 – फ्रांस टेलिकॉम नें Minitel को ऑनलाइन ऑर्डर लेने के लिए शुरु किया
- 1982 – बोस्टन कम्प्युटर एक्सचेंज ने अपना पहला ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म लॉच किया
- 1990 – टिम बर्नर्स ली ने पहला वेब ब्राउजर का कोड लिखा
- 1992 – बुक स्टैक्स अनलिमिटेड ने किताबों का पहला मार्केटप्लैस शुरु किया जिसकी वेबसाईट www.books.com थी. अब यह वेबसाईट www.barnesandnoble.com हो गई है.
- 1994 – नेटस्केप ने नेटस्केप नेविगेटर शुरु किया
- 1994 – NetMarket से Ten Summoner’s Tales पहली सुरक्षित खरीदारी बनी जिसे क्रेडिट कार्ड के माध्यम से खरीदा गया
- 1995 – eBay तथा Amazon ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाईट शुरु हुई
- 1998 – PayPal को ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम के रूप में शुरु किया गया
- 1999 – Alibaba.com की शुरुआत
- 2000 – गूगल ने AdWords शुरु की
- 2005 – एमेजन ने अपने ग्राहकों के लिए Amazon Prime सेवा शुरु की
- 2005 – दस्तकारी तथा पुराने कीमती सामात (Vintage Goods) ऑनलाइन बेचने-खरिदने के लिए Esty मार्केटप्लेस शुरु हुआ
- 2009 – ऑनलाइन स्टोरफ्रंट प्लैटफॉर्म BigCommerce शुरु हुआ
- 2009 – Square, Inc. की शुरुआत हुई
- 2011 – Google Wallet को ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम के लिए शुरु किया गया
- 2011 – फेसबुक ने Sponsored Stories नाम से विज्ञापन शुरु किया
- 2011 – Stripe की शुरुआत
- 2014 – Apple Pay को मोबाइल पेमेंट के लिए शुरु किया गया
- 2014 – Jet.com की शुरूआत
- 2017 – Instagram Shoppable Posts पेश की गई
- 2020 – रिलायंस रिटेल द्वारा Jio Mart की शुरुआत की गई. E-commerce
ई-कॉमर्स का प्रकार –
ई-कॉमर्स मुख्य रूप से सात प्रकार से संचालित होता है. जिनका वर्णन इस प्रकार है.
- Business to Business (B2B)
- Business to Consumer (B2C)
- Consumer to Consumer (C2C)
- Consumer to Business (C2B)
- Government to Business (G2B)
- Business to Government (B2G)
- Consumer to Government (C2G)
Business to Business Model :-
- जब ऑनलाइन बिजनेस दो से अधिक बिजनेस कंपनियों, संस्थानों, एजेंसियों के बीच किया जाता है तो यह Business to Business Model (B2B) कहलाता है.
- क्योंकि इस प्रोसेस में अंतिम उपभोक्ता आप या हम नहीं होते है. बल्कि, एक दूसरा व्यापार ही होता है जो दूसरे व्यापार से अपनी जरूरत का सामान ऑनलाइन खरीदता है. इस बिजनेस मॉडल में उत्पादक, थोक व्यापारी और खुदरा व्यापारी शामिल होते है.
- यहाँ पर व्यापारी अधिकतर कच्चा सामान, रिपैकिंग होने वाला सामान खरीदते है और सेवाओं के रूप में सॉफ्टवेयर तथा कानूनी सलाह शामिल होती है. मगर यहीं तक सीमित नहीं है. E-commerce
Business to Consumer Model :-
ई-कॉमर्स का सबसे प्रचलित रुप B2C है. जब आप एक प्रकाशक से अपने लिए कोई किताब ऑर्डर करते है तो यह शॉपिंग इसी बिजनेस मॉडल में शामिल होती है. क्योंकि यहाँ पर ट्रांजेक्शन सीधा बिजनेस से उपभोक्ता के बीच होता है. E-commerce
Consumer to Consumer Model :-
यह मॉडल शुरुआत का बिजनेस मॉडल है. इस ई-कॉमर्स बिजनेस मॉडल में एक ग्राहक दूसरे ग्राहक से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करता है. eBay, Amazon पर आपको कुछ इसी तरह का मॉडल देखने को मिलता है. जहाँ पर एक ग्राहक अपना पुराना सामान तथा नया सामान भी सीधे ग्राहक को बेचता है.
Consumer to Business Model :-
- जब एक ग्राहक अपना सामान अथवा सेवाएं सीधे एक बिजनेस को बेचता है तो यह ई-कॉमर्स मॉडल C2B कहलाता है.
- एक फोटोग्राफर, गायक, कॉमेडियन, नृतक, यूट्युबर आदि अपने दर्शकों के हिसाब से बिजनेस से उत्पाद प्रचार के शुल्क लें सकते है और अपनी कुछ सेवाएं रॉयल्टी के आधार पर भी उपलब्ध करा सकते है.
- ये सभी कार्य Consumer to Business Model के अंतर्गत आते है. पेशेवर लोग इस बिजनेस मॉडल से खूब पैसा कमाते है. E-commerce
ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म्स :-
ई-कॉमर्स इंफॉर्मेशन तकनीक के कई टूल्स का सहारा लेकर किया जाता है और एक ऑनलाइन स्टोर को बनाने में बहुत सारे अलग-अलग टूल्स इस्तेमाल होते है. जिनके जरिए ऑनलाइन स्टोर बनाए जाते है. ऑनलाइन स्टोर्स को हम दो वर्गों में बांट सकते है.
- Online Storefronts
- Online Marketplaces
Online Storefronts :-
आमतौर पर मर्चेंट अपना ऑनलाइन स्टोर किसी वेबसाइट के माध्यम से बनाते है। यह सबसे सीधा और आसान तरीका है ऑनलाइन स्टोर बनाने का और अधिकतर बिजनेस इसी तरह अपना व्यापार कर रहे है।
मर्चेंट्स शॉपिंग कार्ट, पेमेंट गेटवे तथा ई-कॉमर्स टूल्स का इस्तेमाल करके अपना ऑनलाइन स्टोर बना लेते है. तथा अपना सामान और सेवाएं बेचते है. ऑनलाइन स्टोरफ्र्न्ट्स बनाने के लिए बहुत सारे प्लैटफॉर्म उपलब्ध है। E-commerce
लोकप्रिय प्लैटफॉर्म्स :-
Magento – यह सबसे लचिला और लोकप्रिय ई-कॉमर्स सॉल्युशन प्लैटफॉर्म है. जो मर्चेंट्स को शक्तिशाली फीचर्स, आसान कस्माईजेशन, एड-ऑन्स उपलब्ध करवाता है. साथ ही विशेषज्ञों का समूह, डेवलपर तथा एजेंसियों की सेवा आपके लिए मौजूद रहती है।
Demandware – यह एक क्लाउड आधारित ई-कॉमर्स सॉल्युशन प्रोवाइडर है.
Oracle Commerce – यह एक B2B तथा B2C ई-कॉमर्स सॉल्युशन प्रोवाइडर है.
Shopify – यदि आप आसानी से एक स्टोरफ्रंट बनाने की सोच रहे थे शॉपिफाई आपके लिए यह सुविधा दे सकता है। क्योंकि इसके Drag-and-Drop Builder द्वारा अपना ई-कॉमर्स स्टोर बनाना पत्ते सजाना जैसा काम है। शॉपिफाई टेम्प्लेट्स, इंवेंट्री टूल्स, बाई बटन, पेमेंट शॉल्युशन आदि एक ही जगह उपलब्ध करवाता है.
WooCommerce – यदि आप एक वर्डप्रेस ब्लॉग को ऑनलाइन स्टोर में बदलना चाहते तो वूकॉमर्स इसमे आपकी मदद कर सकता है। यह एक ऑपन सॉर्स ई-कॉमर्स टूल है जो वर्डप्रेस साइट को एक ऑनलाइन स्टोर में बदलने के लिए आवश्यक फीचर्स उपलब्ध करवाता है. मगर साइट होस्टिंग, डोमेन नेम, एसएसएल, पेमेंट गेटवे आदि साइट ऑनर को संभालना पड़ता है. अन्य प्लैटफॉर्म्स में यह झंझट नही रहता.
BigCommerce – यह प्लैटफॉर्म B2B ई-कॉमर्स के लिए शानदार फीचर्स उपलब्ध करवाता है. इसके जरिए बडे आराम से एक ऑनलाइन स्टोर बनाया जा सकता है. साथ में इसके द्वारा एक ब्लॉग, सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर भी सेलिंग की जा सकती है.
Drupal Commerce – यदि आप Drupal Platform का इस्तेमाल करते है तब आप इस टूल के द्वारा अपना ऑनलाइन स्टोर बन सकते है.
Instamojo – यदि आप भारतीय सॉल्युशन ढूढ रहे तो इंस्टामोजो आपकी मदद कर सकता है. आप इस Instamojo Tool की सहायता से अपना खुद का स्टोरफ्रंट बना सकते है और सीधे पेमेंट भी ले सकते है. इंस्टामोजो बिल्ट-इन प्रोड्क्ट स्टोर बनाने की सुविधा मुफ्त उपलब्ध करवाता है. बस आपको प्रति ट्रांजेक्शन कुछ शुल्क देना पड़ता है. जो एक चाय के बराबर पड़ता है. E-commerce
Online Marketplaces :-
ऑनलाइन मार्केटप्लेस एक प्रकार के बिचौलिये का काम करता है। ऑनलाइन मार्केटप्लेस मर्चेंट और ग्राहक के बीच कम्युनिकेशन स्थापित करते है और अलग-अलग मर्चेंटों को एक जगह (ऑनलाइन बाजार) उपलब्ध करवाते है. ग्राहक का मर्चेंट से सीधा संबंध नही होता है. इस तरह के मार्केटप्लैस बहुत सारे उपलब्ध है जिनके द्वारा आज करोडों का ई-कॉमर्स व्यापार किया जा रहा है.
कुछ लोकप्रिय मार्केटप्लैस :-
Amazon – दुनिया की सबसे बडी ई-कॉमर्स मार्केटप्लैस होने का दावा करने वाली अमेजन कंपनी परिचय का मोहताज नहीं है। दुनियाभर के ग्राहकों के बीच इसने अपनी पहचान कायम की है. और लोगों को a-z प्रोड्क्ट पहुँचाकर बांटने का मंगल काम कर रही है.
Flipkart – यह भारतीय कंपनी एमेजन की तरह भारतीय मर्चेंट्स के लिए देशी तकनीक पर आधारित विश्वव्यापि मार्केट उपलब्ध करा रही है.
eBay – यह ई-कॉमर्स की शुरूआती कंपनियों में से एक है. जो नए सामान के साथ पुराना सामान खरीदने-बेचने के लिए मार्केटप्लेस उपलब्ध करा रही है. इसका बिजनेस मॉडल C2C पर ज्यादा आधारित है.
Etsy – इस मार्केटप्लेस पर हैण्डमैड, विंटिज और कुछ दुर्लभ वस्तुएं खरीदी-बेची जा सकती है.
Alibaba – यह एक चीनी ई-कॉमर्स कंपनी है. जो थोक विक्रेताओं, निर्माताओं, सप्लायर्स, आयातक/निर्यातकों के लिए मार्केटप्लेस उपलब्ध कराती है.
Indiamart – यह एक भारतीय मार्केटप्लेस है जो बिल्कुल एलिबाबा की तरह कार्य करता है.
Fiverr – यह एक फ्रीलासिंग मार्केटप्लेस है जो पेशेवर लोगों को अपनी सेवाएं उपलब्ध कराने का काम करती है. यहाँ पर एक ग्राफिक डिजाईनर, वेब डवलपर आदि लोग इस मार्केटप्लेस से जुडकर अपनी सेवाएं मुहैया करा सकते है. E-commerce