जहाँगीर (शासन काल सन् 1605 से सन् 1627)
- मिर्ज़ा नूर–उद्दीन बेग़ मोहम्मद ख़ान सलीम जहाँगीर (जन्म– 30 अगस्त, 1569, फ़तेहपुर सीकरी; मृत्यु– 8 नवम्बर, 1627, लाहौर) मुग़ल वंश का चौथा बादशाह था।
- अकबर के तीन पुत्र थे। सलीम (जहाँगीर), मुराद और दानियाल।
- सलीम अकबर की मृत्यु पर ‘नूरुद्दीन मोहम्मद जहाँगीर‘ के उपनाम से तख्त पर बैठा।
- उसने 1605 ई. में कई उपयोगी सुधार लागू किए। कान, नाक और हाथ आदि काटने की सजा रद्द कीं।
- शराब और अन्य नशे आदि वाली वस्तुओं का हकमा बंद करवा दिया। कई अवैध महसूलात हटा दिए।
- किसी की भी फ़रियाद सुनने के लिए उसने अपने महल की दीवार से जंजीर लटका दी, जिसे ‘न्याय की जंजीर‘ कहा जाता था।
प्रारंभिक जीवन
- जहाँगीर का जन्म फ़तेहपुर सीकरी में स्थित ‘शेख़ सलीम चिश्ती’ की कुटिया में राजा भारमल की बेटी ‘मरियम ज़मानी’ के गर्भ से 30 अगस्त, 1569 ई. को हुआ था। अकबर सलीम को ‘शेख़ू बाबा’ कहा करता था। सलीम का मुख्य शिक्षक अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना था। 13 फ़रबरी, 1585 ई. को सलीम का विवाह आमेर के राजा भगवानदास की पुत्री ‘मानबाई’ से सम्पन्न हआ। मानबाई को जहाँगीर ने ‘शाह बेगम’ की उपाधि प्रदान की थी। मानबाई ने जहाँगीर की शराब की आदतों से दुखी होकर आत्महत्या कर ली। कालान्तर में जहाँगीर ने राजा उदयसिंह की पुत्री ‘जगत गोसाई’ या ‘जोधाबाई‘ से विवाह किया था।
राज्याभिषेक
- 1599 ई. तक सलीम अपनी महत्वाकांक्षा के कारण अकबर के विरुद्ध विद्रोह में संलग्न रहा। 21, अक्टूबर 1605 ई. को अकबर ने सलीम को अपनी पगड़ी एवं कटार से सुशोभित कर उत्तराधिकारी घोषित किया।अकबर की मृत्यु के आठवें दिन 3 नवम्बर, 1605 ई. को सलीम का राज्याभिषेक ‘नुरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीर बादशाह ग़ाज़ी’ की उपाधि से आगरा के क़िले में सम्पन्न हुआ।
प्रमुख कार्य
- जहाँगीर ने अपने कुछ विश्वासपात्र लोगों को, जैसे अबुल फ़ज़ल के हत्यारे ‘वीरसिंह बुन्देला‘ को तीन हज़ारी घुड़सवारों का सेनापति बनाया।
- नूरजहाँ के पिता ग़ियासबेग को दीवान बनाकर एतमाद्दौला की उपाधि प्रदान की।
- जमानबेग को महावत ख़ाँ की उपाधि प्रदान कर डेढ़ हज़ार का मनसब दिया।
- अबुल फ़ज़ल के पुत्र अब्दुर्रहीम को दो हज़ार का मनसब प्रदान किया।
- जहाँगीर ने अपने कुछ कृपापात्र, जैसे क़ुतुबुद्दीन कोका को बंगाल का गर्वनर एवं शरीफ़ ख़ाँ को प्रधानमंत्री पद प्रदान किया।
- जहाँगीर के शासनकाल में कुछ विदेशियों का भी आगमन हुआ।
- इनमें कैप्टन हॉकिन्स और सर टॉमस रो प्रमुख थे, जिन्होंने सम्राट जहाँगीर से भारत में व्यापार करने के लिए अनुमति देने की याचना की थी।
ख़ुसरो का विद्रोह
- जहाँगीर के पाँच पुत्र थे–ख़ुसरो, परवेज, ख़ुर्रम, शहरयार और जहाँदार।
- खुसरो अपने गुणों में अपने दादा अकबर के ही सामान था।
- ख़ुसरो के मन में बादशाह बनने की लालसा पैदा हुई थी।
- अप्रैल, 1606 ई. में अपने पिता जहाँगीर के विरुद्ध उसने विद्रोह कर दिया।
- लगभग 12000 सैनिकों के साथ ख़ुसरों एवं जहाँगीर की सेना का मुक़ाबला जालंधर के निकट ‘भैरावल’ के मैदान में हुआ।
- सिक्खों के पाँचवें गुरु अर्जुनदेव को ख़ुसरो की सहायता करने के एवज में जहाँगीर ने फाँसी दिलवा दी।
- ख़ुसरो द्वारा जहाँगीर की हत्या का षड्यन्त्र रचने के कारण, उसे अन्धा करवा दिया गया जिसे 1621 ई. में ख़ुर्रम (शाहजहाँ) हत्या करवा दी।
साम्राज्य विस्तार
- जहांगीर ने ‘भारत का सिंहद्वार’ कहे जाने वाले तथा व्यापार एवं सैनिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण प्रांत कंधार को 1621 ई. में जीता।
- अकबर के समय सम्पूर्ण मेवाड़ को न तो जीता जा सका न ही अधीन किया जा सका इस उद्देश्य से उसने प्रथम वर्ष 1605 ई. में ही मेवाड़ पर अभियान शुरू किया जिसका अंत राणा अमरसिंह के लिए अपमान जनक संधि के साथ हुआ।
- जहांगीर ने दक्षिण की विजय आरम्भ की जिसमें अहमद नगर की विजय महत्वपूर्ण थी।
- कांगड़ विजय (1620 ई.)शाहज़ादा ख़ुर्रम (शाहजहाँ) के प्रतिनिधित्व सफल रही।
अन्य घटनाएँ-
- जहांगीर ने अपनी प्रेयसी अनारकली के लिए 1615ई. में लाहौर में एक सुन्दर कब्र बनवायी और जिस पर यह प्रेमपूर्ण अभिलेख लिखवाया कि – “यदी मैं अपनी प्रेयसी का चेहरा एक बार पुनः देख पाता, तो कयामत के दिन तक अल्लाह को धन्यवाद देता।”
- जहाँगीर के शासन काल में हाकिन्स आया था। यह इस्ट इंडिया कंपन्नी का प्रतिनिधि था, 1608 से 1611ई. तक भारत में रहा था।
- सर टामस रो जो सम्राट जेम्स का दूत था, 1615 से 1619ई. तक भारत में रहा था।
- जहाँगीर ने हाकिन्स को 4000 का मनसब दिया था।
- जहाँगीर ने सूरदास को आश्रय दिया था और उसी के संरक्षण में सूरसागर की रचना हुई।
अंतिम काल और मृत्यु
- जहाँगीर की मृत्यु सन् 1627 में उस समय हुई, जब वह कश्मीर से वापस आ रहा था। रास्ते में लाहौर में उसका देहावसान हो गया। उसे वहाँ के रमणीक उद्यान में दफ़नाया गया था।
- के पश्चात् उसका पुत्र ख़ुर्रम शाहजहाँ के नाम से मुग़ल सम्राट हुआ।