अनुच्छेद 163 के अनुसार राज्यपाल को सहायता तथा परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी इसका इसका प्रधान मुख्यमंत्री होगा।
अनुच्छेद 164 के अनुसार, राज्यपाल विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करता है ।और फिर मुख्यमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों को भी नियुक्त करता है । मुख्यमंत्री राज्य कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान तथा राज्य का निर्वाचित प्रमुख होता है।
91वें संवैधानिक संशोधन 2003 के द्वारा अनुच्छेद 164 में यह प्रावधान किया गया है कि मंत्री परिषद में सदस्यों की संख्या निचले सदन (लोकसभा एवं राज्यसभा विधानसभा) की कुल संख्या का 15% से अधिक नहीं होना चाहिए, परंतु किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या 12 से कम नहीं होगी।
मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों की योग्यताएं :-
संविधान में मंत्रियों की और नेताओं से संबंधित प्रावधान अनुच्छेद 164 (4) में दिए गए हैं । जिसमें कहा गया है कि कोई मंत्री जो निरंतर 6 माह तक राज्य के विधान मंडल का सदस्य नहीं है , इस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा।
मुख्यमंत्री एवं मंत्रियों द्वारा शपथ :-
किसी मंत्री द्वारा अपना पद ग्रहण करने से पहले राज्यपाल संविधान की तीसरी अनुसूची में दिए गए प्रारूप प्रारूपों के अनुसार उसको अपने पद की कर्तव्य पालन तथा गोपनीयता की शपथ दिलाता है।
विधान परिषद का गठन :-
राज्य मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की तीन श्रेणियां होती हैं कैबिनेट मंत्री (मंत्रिमंडल के सदस्य), राज्य मंत्री तथा स्वतंत्र प्रभार।
कैबिनेट मंत्री सबसे महत्वपूर्ण मंत्री होते हैं क्योंकि कैबिनेट के द्वारा ही सामूहिक रूप से शासन की नीति का निर्धारण किया जाता है। दूसरे स्तर पर राज्य मंत्री होते हैं जो कैबिनेट मंत्री के कार्यों में सहायता प्रदान प्रदान करते हैं।
तीसरी श्रेणी में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) होते हैं जो किसी कैबिनेट मंत्री के अधीन ना होकर स्वतंत्र रूप से किसी विभाग का दायित्व संभालते हैं।
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल द्वारा एक जनजाति कल्याण मंत्री की नियुक्ति का विशेष प्रावधान है।
मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों के भत्ते राज्य के विधान मंडल विधान सभा द्वारा समय-समय पर निर्धारित किए जाते हैं । किंतु अनुच्छेद 164 (5 ) के अनुसार जब तक राज्य का विधान मंडल इस संबंध में उपबंध नहीं करता है तब तक मंत्रियों के वेतन भत्ते दूसरी अनुसूची में किए गए प्रावधानों के अनुसार होंगे।
प्राय: मंत्रीपरिषद का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है, परंतु विधानसभा में अपना बहुमत होने के पश्चात मंत्री परिषद अपने निर्धारित अवधि से पहले ही विघटित हो सकती है.
अनुच्छेद 365 के अनुसार जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है तो मंत्रिपरिषद भंग हो जाता है।
मुख्यमंत्री के अनुरोध पर भी राज्यपाल द्वारा मंत्रिपरिषद भंग किया जा किया जा सकता है।
नेता प्रतिपक्ष :-
विपक्षी दल के नेता प्रमुख को नेता प्रतिपक्ष के नाम से जाना जाता है जो सत्तापक्ष की कार्यप्रणाली पर निगरानी रखता है तथा विधानसभा में सत्तापक्ष की गतिविधियों पर प्रश्न करता है
मध्यप्रदेश में विधानसभा के प्रथम नेता प्रतिपक्ष श्री विश्वनाथ यादव राव तामस्कर थे।
मध्य प्रदेश विधान सभा विधान सभा की प्रथम महिला नेता प्रतिपक्ष श्रीमती जमुना देवी थी।
वर्तमान विधानसभा के प्रतिपक्ष के नेता डॉ. गोविन्द सिंह हैं।
प्रथम से चतुर्थ विधान सभाओं में कोई मान्यता प्राप्त विरोधी दल नहीं था. तृतीय विधान सभा से ही विरोधी दल की मान्यता प्राप्त हुई. प्रथम विधान सभा में श्री विश्वनाथ यादवराव तामस्कर एवं द्वितीय विधान सभा में श्री चन्द्रप्रताप तिवारी, तत्कालीन विरोधी दलों में सबसे बड़े विरोधी दल के नेता थे.
सदन की कार्यवाहियों के अनुसार, प्रथम से चतुर्थ विधानसभा कार्यकाल तक नेता प्रतिपक्ष की मान्यता की घोषणा या बधाई उल्लेख नहीं किया गया. तथापि, विरोधी दल के वरिष्ठतम सदस्य के नाते नेता प्रतिपक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भाषण दिए जाने के प्रमाण उपलब्ध हैं. तदनन्तर पंचम विधान सभा कार्यकाल में श्री कैलाश जोशी से निरन्तर नेता प्रतिपक्ष की मान्यता संबंधी घोषणाएं की गई हैं.
मध्य प्रदेश राज्य प्रशासन का मुख्य केंद्र बिंदु राज्य सचिवालय कहलाता है ।यह प्रदेश की राजधानी भोपाल के अरेरा हिल्स में वल्लभ भवन के नाम से स्थापित किया गया है । इसका प्रधान मुख्य सचिव होता है।
मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव :-
क्र
नाम
अवधि
1
श्री एच.एस.कामथ
01.11.1956 to 24.11.1963
2
श्री आर.पी. नरोन्हा
25.11.1963 toAug. 1968
3
श्री एम.पी. श्रीवास्तव
02.09.1968 to 17.11.1969
4
श्री आर.पी. नायक
18.11.1969 to 6.9.1972
5
श्री आर.पी. नरोन्हा
06.09.1972 to 14.05.1974
6
श्री एम.एस. चौधरी
14.05.1974 to 30.04.1975
7
श्री एस.सी. वर्मा
26.06.1975 to 11.09.1977
8
श्री के.एल. पसरीचा
20.09.1977 to 29.02.1980
9
श्री बी.के. दुबे
06.03.1980 to 29.10.1980
10
श्री जी. जगतपति
01.11.1980 to 31.11.1982
11.
श्री बीरबल
01.08.1982 to 27.05.1983
12
श्री ब्रम्हस्वरूप
28.05.1983 to 15.11.1985
13
श्री के.सी.एस. आचार्य
15.11.1985 to 09.03.1988
14
श्री एम.एस. सिंह देव
09.03.1988 to 30.06.1988
15
श्री आर.एन. चोपड़ा
01.07.1988 to 30.09.1989
16
श्री आर.एस. खन्ना
30.09.1989 to 31.03.1990
17
श्री आर.पी. कपूर
31.03.1990 to 22.09.1991
18
श्रीमती निर्मला बुच
22.09.1991 to 01.01.1993
19
श्री एन.एस. सेठी
01.01.1993 to 30.11.1995
20
श्री एस.सी. बेहार
30.11.1995 to 31.01.1997
21
श्री के.एस. शर्मा
31.01.1997 to 31.07.2001
22
श्री पी.के. मल्होत्रा
01.08.2001 to 28.02.2002
23
श्री ए.वी. सिंह
01.03.2002 to 05.01.2004
24
श्री बी.के. साहा
05.01.2004 to 30.09.2004
25
श्री विजय सिंह
01.10.2004 to 27.01.2006
26
श्री आर.सी. साहनी
28.01.2006 to 31.01.2010
27
श्री अवनि वैश्य
01.02.2010 to 30.04.2012
28
श्री आर. परशुराम
01.05.2012 to 30.09.2013
29
श्री अन्टोनी जे.सी. डिसा
01.10.2013 to 31.10.2016
30
श्री बसंत प्रताप सिंह
01.11.2016 to 31.12.2018
31
श्री सुधि रंजन मोहन्ती
01.01.2019 to 16.03.2020
32
श्री एम. गोपाल रेड्डी
16.03.2020 to 24.03.2020
33
श्री इकबाल सिंह बैंस
24.03.2020 से निरंतर
प्रशासनिक रूप से मध्य प्रदेश को संभाग, जिला, विकासखंडों,तथा तहसील में विभाजित किया गया है।
मध्यप्रदेश में वर्तमान में 10 संभाग 53 जिले 313 विकासखंड तथा 420 तहसीलें हैं ।