मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति :-
- मध्यप्रदेश की अनुसूचित जातियाँ संविधान के अनुच्छेद 366 (खण्ड 24) में अनुसूचित जाति को पारिभाषित किया गया है।
- संविधान के अनुच्छेद 341 में सूचीबद्ध जातियाँ अनुसूचित जातिया कहलाती है।
- कुल (जाति समूह) जातियों के प्रकार या संख्याः 47
- जनांकिकी 2011 के अनुसार राज्य में अनुसूचित जाति की कुल संख्या 1 करोड़13 लाख 42 हजार है, जो राज्य जनसंख्या का 15.60 प्रतिशत है। देश में इनका प्रतिशत 16.60 है। म.प्र. में 2001 में अनुसूचित जाति का प्रतिशत 15.2 प्रतिशत था। अतः वार्षिक वृद्धि 23.9 प्रतिशत रही है।
- अनुसूचित जाति जाति की संख्या में म.प्र. देश में स्थान 8वां है।
- अनुसूचित जाति के प्रतिशत में देश में प्रदेश का स्थान 17वां है।
- म.प्र. में जाटव मोची सतनामी (कुल जाति का 47.3 प्रतिशत) राज्य का सबसे बड़ा अनुसूचित जाति समूह है।
- चमार (45 लाख) म.प्र. की सबसे बड़ी जाति है।
अनुसूचित जाति जनगणना 2011 :-
- कुल अनुसूचित जाति 11342320 (15.6% )
- नगरीय अनुसूचित जाति संख्या 30.74 लाख
- सर्वाधिक अनुसूचित जाति इंदौर 545239
- न्यूनतम अनुसूचित जाति झाबुआ (17427)
- सर्वाधिक अनुसूचित जाति प्रतिशत उज्जैन 26.4
- न्यूनतम अनुसूचित जाति प्रतिशत झाबुआ 1.7
- अनुसूचित जाति में साक्षरता दर 66.2 प्रतिशत
- अनुसूचित जाति में लिंगानुपात 920 (2001 में 905)
- अनुसूचित जाति में सर्वाधिाक साक्षर जिला बालाघाट
- ग्रामीण अनुसूचित जातिसंख्या 82.68 लाख
- मध्यप्रदेश की अनुसूचित जातियाँ
मध्य प्रदेश में प्रमुख जातियाँ :-
चर्मशिल्पी– राज्य की इस सर्वप्रमुख जाति (47.33 प्रतिशत) में चमारी, बैखा,शाम्बी, जाटव, मोची, रागर, नोना, रोहिदास, सतनामी, भंगन, रैदास और अहिरवार आदि उपजातियां शामिल हैं।
खटीक– राज्य की दूसरी बड़ी जाति है।
भंगी– अनुसूचित जाति का 16 प्रतिशत भंगी जाति समूह है।
बलाई– कुल अनुसूचित जाति का प्रतिशत बलाई जाति है।
बेडि़या– सागर में निवासरत बेडि़या जाति वेश्यावृत्ति के वंशानुगत पेशे से जुड़ी रही है। सरकार ने इस प्रथा से मुक्ति हेतु जाबलि योजना चलाई है।
लखारा– लाख का काम करने वाली एक जाति का नाम लखारा जाति है, जिसके स्त्री पुरूष दोनों पारम्परिक रूप से लाखकर्म में दक्ष होते हैं। उज्जैन, इंदौर, रतलाम, मंदसौर, महेश्वर इसके परम्परागत केन्द्रों में से हैं।
बसोड़– बालाघाट की यह जाति बांस शिल्प में पारंगत है।
अन्य जातियां- अवधोलिया, बागदी, बागरी, सोनकर, बारगुण्डा, चदार, होलिया, चीदार, कंजा, नट, माग, दहात, दोहात आदि।
मध्यप्रदेश की अनुसूचित जातियाँ
अनुसूचित जाति के संबंध में प्रशासनिक व्यवस्था
मध्य प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग :-
- मध्य प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग अधिनियम (क्रमांक 25 वर्ष 1995) के अंतर्गत मध्य प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग का गठन किया गया है।
- संगठनः आयोग में एक अध्यक्ष एवं दो अशासकीय सदस्य होते हैं, आयुक्त, अनुसूचित जाति विकास आयोग के पदेन सदस्य होते हैं।
अनुसूचित जाति के संबध में प्रमुख तथ्य :-
- अनुसूचित जाति शब्द का प्रथम प्रयोग- साइमन कमीशन
- अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग- भारतीय संविधान
- दलित शब्द का प्रयोग- साइमन कमीशन
- हरिजन शब्द का प्रयोग- महात्मा गांधी