मध्यप्रदेश की विद्युत परियोजना

मध्यप्रदेश की विद्युत परियोजना

मध्यप्रदेश की विद्युत परियोजना

मध्यप्रदेश जल विद्युत परियोजना :-

विद्युत क्षेत्र के प्रभावी प्रबंधन के लिये मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल के वृहद स्वरूप का पुनर्गठन किया गया है। उत्पादन, एवं वितरण हेतु कंपनी एक्ट 1956 के तहत मध्यप्रदेश राज्य विद्युत मंडल का पुनर्गठन कर पांच कंपनियों का गठन जुलाई 2002 में किया गया।

परियोजनाक्षमता 
गांधी सागर मंदसौर115 मेगावाट
राणाप्रताप सागर चित्तौड़172 मेगावाट
जवाहर कोटा बैराज99 मेगावाट
इंदिरा सागर पुनासा (खंडवा)1000 मेगावाट
महेश्वर खरगोन400 मेगावाट
ओंकारेश्वर खंडवा520 मेगावाट
पेंच छिंदवाड़ा107 मेगावाट (कुल क्षमता 160 मेगावाट)
रानी आवंतीबाई बरगी जबलपुर90 मेगावाट
बाणसागर टोंस-01 सीधी 315 मेगावाट
बाणसागर टोंस-02 सीधी 30 मेगावाट
बाणसागर टोंस-03 सीधी 30 मेगावाट
बाणसागर टोंस-04 शहडोल 60 मेगावाट
वीरसिंहपुर उमरिया 20 मेगावाट
मड़ीखेड़ा , शिवपुरी60 मेगावाट
सीतारेवा, छिंदवाड़ा 15 मेगावाट

 गांधी सागर जल विद्युत केन्द्र :-

    भानपुरा तहसील जिला मंदसौर में चंबल पर 1960 में निर्मित गांधी सागर विद्युत केन्द्र है, जिसमें 2300 किलोवाट शक्ति के 5 विद्युत उत्पादन संयत्र लगाये गए हैं। इस केन्द्र की क्षमता 115 मेगावाट है। मध्यप्रदेश व राजस्थान दोनों 50:50 के अनुपात में विद्युत प्राप्त करते हैं।

राणा प्रताप सागर जल विद्युत केन्द्र :-

    यह केन्द्र चंबल नदी पर रावत भाटा (चित्तौड़गढ़) में बनाया गया है। इसकी विद्युत उत्पादन क्ष्मता 172 मेगावाट है। इसमें मध्यप्रदेश व राजस्थान दोनों का बरारबर हिस्सा है।

जवाहर सागर जल विद्युत केन्द्र :-

    यह परियोजना चंबल नदी पर राणा प्रताप सागर बॉध से 32 किलोमीटर आगे है। यहाँ विद्युत उत्पादन के 3 संयत्र हैं। इस केन्द्र की उत्पादन क्षमता 99 मेगावाट है। मध्यप्रदेश राजस्थान को बराबर हिस्सा मिलता है।

बरगी परियोजना :-

    जबलपुर जिले में बिजौरा गांव के पास रानी अंवतिबाई सागर (बरगी) परियोजना है। नर्मदा नदी पर स्थित इस केन्द्र की उत्पादन क्षमता 90 मेगावाट है।

रिहन्द परियोजना :-

    पीपरी, जिला सोनभद्र (उ.प्र.) में स्थित यह उ.प्र. एवं मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना है।

पेंच जल विद्युत केन्द्र :-

    सिवनी व छिंदवाड़ा जिलों में चल रहा यह केन्द्र मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की संयुक्त परियोजना है इसकी उत्पादन क्षमता 160 मेगावाट है। इसमें से मध्यप्रदेश को 107 मेगावाट मिलता है। शेष महाराष्ट्र को जाता हैं

टोंस जल विद्युत केन्द्र :-

    इसे बाणसागर परियोजना -01 के नाम से भी जाना जाता है। टोंस पर स्थित जल विद्युत उत्पादन केन्द्र की उत्पादन क्षमता 315 मेगावाट है।

महेश्वर जल विद्युत केन्द्र :-

    महेश्वर (खरगोन) में नर्मदा पर 1994 में स्थापित इस केन्द्र की क्षमता 400 मेगावाट है। निजी क्षेत्र (एम.डब्ल्यू.कार्प-एस. कुमार्स) द्वारा प्रवर्तित देश का पहला जल विद्युत गृह होगा।

ओंकारेश्वर जल विद्युत केन्द्र :-

    खण्डवा जिले के ओंकारेश्वर में नर्मदा पर स्थापित इस केन्द्र की उत्पादन क्षमता 520 मेगावाट है। यहां 2007 से उत्पादन शुरू हुआ है।

इंदिरा सागर परियोजना (पुनासा जल विद्युत केन्द्र) :-

    खण्डवा जिले के पुनासा में नर्मदा नदी पर स्थित इस केन्द्र की उत्पादन क्षमता 1000 मेगावाट है। इसे इंदिरा सागर परियोजना भी कहते हैं। यहां 2007 से उत्पादन शुरू हुआ है।

बाणसागर जल विद्युत केन्द्र सीधी :-

    वर्ष 1994-95 में सोन नदी पर उत्तरप्रदेश, बिहार एवं मध्यप्रदेश द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित इस केद्र की क्षमता 110 मेगावाट है। जिसे बढ़ाकर 425 मेगावाट किया जा रहा है।

बाणसागर पर चार बांध हैं-

  1. टोंस 315 मेगावाट
  2. सिलपरा 30 मेगावाट
  3. देवलोद 60 मेगावाट
  4. झीन्ना 20 मेगावाट

मड़िखेड़ा जल विद्युत केन्द्र

    अटल सागर (सिंध नदी) पर 60 मेगावाट का उत्पादन 2018 में शुरू हुआ है।

चांदेल प्रोजेक्ट :-

    खंडवा में इंदिरा सागर नगर पर 15 मेगावाट की बिजली उत्पादन योजना है।

विरसिंहपुर परियोजना :-

    उमरिया जिले में स्थित परियोजना के अंतर्गत 20 मेगावाट विद्युत का उत्पादन किया जाता है।

राजघाट परियोजना :-

    माताटीला बांध (बेतवा नदी) पर उ.प्र. एवं म.प्र. की संयुक्त परियेाजना है। कुल 45 मेगावाट क्षमता है जिसमें दोनों राज्यों का आधा आधा हिस्सा है।

मध्यप्रदेश में ताप विद्युत ऊर्जा :-

  • प्रदेश में सर्वप्रथम विद्युत उत्पादन ग्वालियर में 240 किलो वाट स्टीम टरबाइन से 1905 में किया गया था ।
  • स्वतंत्र भारत का सबसे पहला विद्युत मंडल मध्यप्रदेश में 1952 में मध्य प्रांत जबलपुर में स्थापित किया गया था |
  • मध्य प्रदेश विद्युत मंडल का 2002 में पुनर्गठन किया गया ।
  • 2012 में एमपी पावर ट्रेडिंग कंपनी का नाम बदलकर एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड किया गया
  • मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल का 2012 में इस कंपनी में विलय किया गया ।मध्य प्रदेश विद्युत मंडल का मुख्यालय जबलपुर में है ।

    मध्य प्रदेश के विद्युत वितरण क्षेत्र को तीन भागों में विभाजित किया गया है ।

  • जबलपुर – मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी
  • भोपाल – मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी
  • इंदौर  – मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी

विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र :-

  • इस ताप विद्युत केंद्र का संचालन राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम NTPC के द्वारा किया जाता है|
  • सिंगरौली कोयला क्षेत्र का विस्तार मध्य प्रदेश के सीधी, सिंगरौली जिले तथा उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में है |

क्षेत्र में 3 सुपर थर्मल पावर परियोजनाएं है :-

  • सिंगरौली ताप विद्युत केंद्र उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में
  • रिहंद ताप विद्युत केंद्र उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में
  • विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में
  • विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले की बैढ़न तहसील में स्थित है।
  • इसका निर्माण 1982 में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम(NTPC) के द्वारा किया गया|
  • इस ताप विद्युत केंद्र को सोवियत रूस की सहायता से स्थापित किया गया तथा दूसरे चरण में आर्थिक सहायता विश्व बैंक से ली गई।
  • विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र  की विद्युत उत्पादन क्षमता 4760 मेगावाट है |

 विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र से संबंधित मुख्य तथ्य

संचालित –   राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम NTPC

 स्थापना –   1982

 स्थान    –   सिंगरौली बैढ़न तहसील

 सहयोगी –  प्रथम चरण में सोवियत रूस द्वारा द्वितीय चरण में विश्व बैंक

 उत्पादन क्षमता –  4760 मेगावाट विद्युत उत्पादन             

  प्राथमिक ईंधन – कोयला

 कोयला आपूर्ति– सिंगरौली बैढ़न  क्षेत्र

 जलापूर्ति -रिहंद जलाशय

 लाभान्वित राज्य मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र , गुजरात , गोवा , छत्तीसगढ़ , दमन दीव और  दादर नगर हवेली

  • विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र भारत का सबसे बड़ा ताप विद्युत केंद्र है |
  • विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र भारत में सर्वाधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने वाला ताप विद्युत केंद्र है |
  • सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन में सिंगरौली देश में प्रथम स्थान पर है|

सतपुड़ा ताप विद्युत केंद्र  :-

  • इसका संचालन मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (MPPGCL) के द्वारा किया जाता है |
  • सतपुड़ा ताप विद्युत केंद्र बैतूल के सारणी में घोड़ाडोंगरी रेलवे स्टेशन के पास स्थित है ।
  • इसकी स्थापना 1967 में अमेरिका की सहायता से की गई थी |
  • यह मध्यप्रदेश व राजस्थान की सम्मिलित परियोजना है|
  • सतपुड़ा ताप विद्युत केंद्र की स्थापना तीसरी पंचवर्षीय योजना के तहत राजस्थान के सहयोग से की गई थी।
  • सतपुड़ा विद्युत केंद्र से मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में विद्युत आपूर्ति की जाती है |
  • इसकी विद्युत उत्पादन क्षमता 1330 मेगावॉट है |
  • सतपुड़ा ताप विद्युत केंद्र में कोयला बैतूल के पाथरखेड़ा कोयला क्षेत्र से |
  • जलापूर्ति तवा परियोजना से की जाती है

चांदनी ताप विद्युत गृह ;-

  • यह मध्य प्रदेश का पहला ताप विद्युत गृह है ।
  • इसकी स्थापना 1953 में बुरहानपुर स्थित नेपानगर कागज कारखाने को विद्युत आपूर्ति के लिए की गई थी ।
  • कोयला आपूर्ति तवा क्षेत्र तथा जलापूर्ति तवा नदी द्वारा की जाती है ।
  • इसकी प्रारंभिक विद्युत उत्पादन क्षमता 17 मेगावाट थी।

अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र चचाई ;-

  • 1977 में अनूपपुर जिले के चचाई क्षेत्र में अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र की स्थापना की गई ।
  • इसकी स्थापित विद्युत क्षमता 450 मेगावाट है।
  • इसे कोयला आपूर्ति सोहागपुर कोयला क्षेत्र से तथा जलापूर्ति सोन नदी क्षेत्र से होती है ।
  • वर्तमान में इसकी उत्पादन क्षमता 210 मेगावाट है ।
  • अपने लक्ष्य से अधिक बिजली उत्पादन कर अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र देश के 5 अग्रणी ताप विद्युत केंद्रों में शामिल है ।
  • इस ताप विद्युत केंद्र से बघेलखंड और बुंदेलखंड क्षेत्र में विद्युत वितरण किया जाता है ।
  • यह मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार की सम्मिलित परियोजना है ।
  • इसका संचालन मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (MPPGCL)द्वारा किया जाता है ।

संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र ;-

  • इसका संचालन मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड(MPPGCL) द्वारा किया जाता है ।
  • यह 1993 में उमरिया जिले के बिरसिंहपुर क्षेत्र में स्थापित किया गया ।
  • इसकी स्थापित क्षमता 1340 मेगावाट है।
  • इसे कोयला आपूर्ति जोहिला कोयला क्षेत्र तथा जलापूर्ति जोहिला नदी क्षेत्र से होती है।
  • वर्तमान में 210 मेगावाट की 5 इकाइयां तथा 500 मेगावाट की एक अन्य इकाई चालू है।

मांडू ताप विद्युत केंद्र ;-

  • यह मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित है।
  • इसका संचालन मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी लिमिटेड  (MPPGCL) के द्वारा किया जाता है।
  • यह मध्य प्रदेश और गुजरात की सम्मिलित परियोजना है।
  • इसे कोयला सतपुड़ा क्षेत्र से तथा जल आपूर्ति नर्मदा नदी से होती है।

बीना ताप विद्युत केंद्र ;-

  • यह मध्य प्रदेश सागर में स्थित है।
  • इसकी स्थापित विद्युत क्षमता 1200 मेगावाट है ।
  • प्रथम चरण में 250 मेगावाट विद्युत उत्पादन 2012 में प्रारंभ हुआ।
  • इसे कोयला विंध्य प्रदेश से तथा जलापूर्ति बीना नदी से होती है।
  • यह निजी समूह जेपी ग्रुप द्वारा संचालित किया जाता है।

निगही ताप विद्युत केंद्र ;-

  • यह 1350 मेगावाट क्षमता का सिंगरौली मध्य प्रदेश के निगही कोयला क्षेत्र में स्थापित है।
  • इसकी विद्युत उत्पादन क्षमता 1320 मेगावाट है ।
  • इसकी स्थापना 2013 में निजी समूह जेपी ग्रुप द्वारा की गई।

मालवा या खंडवा ताप विद्युत केंद्र ;-

  • मध्य प्रदेश के खंडवा में स्थित है।
  • इसका संचालन मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (MPPGCL) द्वारा किया जाता है ।
  • इसकी स्थापित विद्युत क्षमता 2000 मेगावाट है।
  • यह मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार की सम्मिलित परियोजना है ।
  • इसे कोयला सतपुड़ा क्षेत्र से तथा जलापूर्ति नर्मदा नदी स्थित इंदिरा सागर बांध से होता है।

सिंगाजी ताप विद्युत केंद्र :-

  • मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है।
  • 2520 मेगावाट क्षमता का ताप विद्युत केंद्र मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड (MPPGCL) द्वारा स्थापित किया गया है।
  • जिसे कोयला सतपुड़ा क्षेत्र से तथा जल नर्मदा नदी स्थित इंदिरा सागर बांध से प्राप्त होता है ।
  • इस ताप विद्युत गृह में प्रदेश की सबसे ऊंची चिमनी 271 मीटर स्थापित की गई है

बड़वाह ताप विद्युत केंद्र :-

  • यह मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित है।
  • इसकी स्थापना राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (NTPC) द्वारा की गई है।
  • इस की स्थापित क्षमता 1320 मेगावाट है ।
  • इसे कोयला आपूर्ति सतपुड़ा क्षेत्र से तथा जलापूर्ति नर्मदा नदी से की जाएगी ।

 सिवनी ताप विद्युत केंद्र :-

  • यह मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में स्थित है
  • इस ताप विद्युत केंद्र का संचालन भेल (BHEL) द्वारा किया जाता है ।
  • इसकी स्थापित विद्युत क्षमता 600 मेगावाट है।

गाडरवारा ताप विद्युत केंद्र :-

  • यह राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम(एनटीपीसी) द्वारा संचालित है ।
  • यह मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में स्थित है।
  • इसकी स्थापित क्षमता 1600 मेगावाट है।
  • इसे कोयला आपूर्ति तलाई पल्ली कोयला क्षेत्र से तथा नर्मदा नदी से जलापूर्ति की जाती है।

जबलपुर ताप विद्युत केंद्र :-

  • यह मध्य प्रदेश का एकमात्र ताप विद्युत केंद्र है जो मध्य प्रदेश विद्युत मंडल द्वारा संचालित किया जाता है।
  • इसकी स्थापना 1960 में की गई थी ।
  • इसकी विद्युत उत्पादन क्षमता 151 मेगावाट है।
  • इसे जल नर्मदा स्थित बरगी बांध से तथा कोयला आपूर्ति जबलपुर कोयला क्षेत्र से की जाती है।

बुंदेलखंड ताप विद्युत केंद्र :-

  • इसकी स्थापना मध्य प्रदेश के छतरपुर में बरेठी क्षेत्र मे की गई है।
  • इसकी उत्पादन क्षमता 2640 मेगावाट है।
  • इस परियोजना को कोयला आपूर्ति रायगढ़ कोयला खदान छत्तीसगढ़ तथा जल आपूर्ति मझगांव बांध और श्यामरी परियोजना से होगी।
  • इस परियोजना का संचालन राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) द्वारा किया जाएगा ।
  • इससे विद्युत उत्पादन का 50% मध्य प्रदेश को प्राप्त होगा।

    पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने खजुराहो मंदिर जो लगभग परियोजना स्थल से 25 किलोमीटर दूरी पर है पन्ना टाइगर रिजर्व जो लगभग 13 किलोमीटर दूरी पर है तथा केन घड़ियाल अभ्यारण जो 25 किलोमीटर दूरी पर है से संबंधित पर्यावरण चिंताएं जाहिर की है तथा एनटीपीसी को अवगत कराया है ।

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