राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग :-
इतिहास –
संविधान में प्रावधान – OBC Commission कोई मौलिक प्रावधान नहीं है ,परन्तु अनुच्छेद-340 के अंतर्गत यह प्रावधान किया है कि राष्ट्रपति सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच के लिए एक आयोग की स्थापना करेगा । OBC Commission
संघ सरकार ने पहली बार पिछड़े वर्गों की पहचान के लिए 10 सदस्यीय ‘काका कालेलकर आयोग’ की स्थापना 1953 में की । इस आयोग ने पिछड़े वर्गों की पहचान के लिए निम्नलिखित मानकों का प्रयोग किया- OBC Commission
- परंपरागत जातीय श्रेणी का विभाजन में निम्न सामाजिक स्थिति में रहने वाले लोग ।
- जिनका प्रतिनिधित्व सरकारी सेवाओं में अपर्याप्त हो ।
- जिनका प्रतिनिधित्व व्यापार , वाणिज्य और उद्योग में भी अपर्याप्त हो ।
मंडल आयोग (1979)
जनता पार्टी सरकार ने मंडल आयोग का गठन किया और बी.पी. मंडल के अध्यक्षता में पांच सदस्यीय आयोग की स्थापना हुई। OBC Commission
आयोग ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप में पिछड़े वर्ग की पहचान के लिए 11 संकेतकों का प्रयोग किया । जिनमें-
- शैक्षणिक पिछड़ापन
- सामाजिक पिछड़ापन
- आर्थिक पिछड़ापन से संबंधित मानक थे ।
पिछड़ा वर्ग घोषित करने के आधार
आयोग ने इन तीनों मानदंडों का प्रयोग करते हुए , यह निष्कर्ष निकाला कि भारत में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप में पिछड़े वर्ग मूलत: पिछड़ी जातियों के लोग हैं । भारत में वर्ग और जाति एक-दूसरे के पर्याय हैं । OBC Commission
संसद ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के द्वारा एक आयोग बनाया ।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग एक संवैधानिक संस्था है, इसकी स्थापना 123वें संवैधानिक संशोधन विधेयक 2018 तथा 102वें संशोधन के द्वारा की गयी थी। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक संस्था बनाने के लिए नया अनुच्छेद 338 B बनाया गया था।
संगठन: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में पांच सदस्य होंगे, इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। इनके कार्यकाल के सम्बन्ध में राष्ट्रपति द्वारा निर्णय लिया जायेगा। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को प्रतिवर्ष अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपनी होगी और बाद में यह रिपोर्ट संसद और राज्य विधान सभाओं में प्रस्तुत की जाएगी।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के कार्य :-
● संविधान द्वारा प्रदान किये गए अधिकारों इत्यादि की निगरानी करना।
● पिछड़ा वर्ग के अधिकारों के हनन संबधी शिकायत का निवारण करना।
● पिछड़ा वर्ग के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए सुझाव देना।
● राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को शिकायतों की छानबीन इत्यादि के सम्बन्ध में सिविल कोर्ट के समान शक्तियां दी जाएँगी।
● 123वां संवैधानिक संशोधन विधेयक
संसद ने 123वें संवैधानिक संशोधन विधेयक को पारित किया। इस संशोधन के द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की भाँती वैधानिक मान्यता प्रदान की जाएगी। संसद द्वारा पारित किये जाने के बाद इस बिल को अब राष्ट्रपति की मंज़ूरी के लिए भेजा जायेगा। 123वें संवैधानिक संशोधन के लागू होने के बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 अप्रचलित हो जायेगा, अतः इस अप्रचलित अधिनियम को निरस्त करने के लिए संसद द्वारा अलग से बिल से पारित किया गया है। OBC Commission
मुख्य बिंदु :-
इस बिल के द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा एंग्लो भारतीय की शिकायत व कल्याण संबधी कार्य सौंपा गया है। इस बिल के द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक संस्था बनाने के प्रस्ताव है, इसके लिए नया अनुच्छेद 338 बी बनाया गया है।
बिल के संविधान में एक नए अनुच्छेद 342-A को जोड़ा गया है, इसके तहत राष्ट्रपति को विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग को चिन्हित करने की शक्ति दी गयी है। इसके लिए राष्ट्रपति सम्बंधित राज्य के राज्यपाल से विचार-विमर्श कर सकते हैं। परन्तु पिछड़ा वर्ग सूची में संशोधन के लिए संसद में कानून पारित किया जाना आवश्यक है।
इस बिल के अनुसार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में पांच सदस्य होंगे, इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। इनके कार्यकाल के सम्बन्ध में राष्ट्रपति द्वारा निर्णय लिया जायेगा। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को प्रतिवर्ष अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपनी होगी और बाद में यह रिपोर्ट संसद और राज्य विधान सभाओं में प्रस्तुत की जाएगी। OBC Commission
नोट –
लोक सभा ने इस विधेयक को अप्रैल, 2017 में पारित किया गया था, तत्पश्चात इसे राज्य सभा में भेजा गया था। जुलाई 2017 में कुछ संशोधनों के साथ इसे राज्यसभा ने पारित कर दिया। तत्पश्चात इसे पुनः लोकसभा में भेजा गया। संशोधन के मुताबिक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों की संख्या को 3 बढ़ाकर 5 किया गया तथा इसमें महिलाओं व अल्पसंख्यक समुदाय को भी प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया। इस आयोग में एक ओबीसी महिला सदस्य की नियुक्ति किये जाने के प्रावधान किया गया है। OBC Commission