प्राचीन काल में भारत पर विदेशी आक्रमण
मौर्य काल से पहले भारत पर 2 महत्वपूर्ण विदेशी आक्रमण हुए ,
जिन्होने भारत की सामाजिक , राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया वह इस प्रकार है –
पारसी(हखमनी ईरानी) आक्रमण :-
भारत पर प्रथम विदेशी आक्रमण ईरान के हखमनी वंश के राजाओं ने किया।
हखमनी वंश का संस्थापक साइरस-2(कुरूष) था।
भारत पर पहला विदेशी आक्रमण करने का असफल प्रयास 550 ईसा पूर्व में ईरान के सम्राट सायरस द्वारा किया गया ।
प्राचीन काल में भारत पर विदेशी आक्रमण
डेरियस प्रथम(दारा प्रथम ) :-
ईरान के राजा कुरूष(साइरस) के उत्तराधिकारी डेरियस प्रथम(दारा-1) ने 516 ई.पू. में कम्बोज, पश्चिमी गांधार, सिंधु क्षेत्र पर विजय प्राप्त की। दारा प्रथम के तीन अभिलेखों बेहिस्तून, पर्सिपोलिस तथा नक्शे रुस्तम से यह सिद्ध होता है कि उसी ने सर्वप्रथम सिंधु नदी के तटवर्ती भारतीय भागों को अधिकृत किया, जो पारसी साम्राज्य का 20 वा प्रांत बना।
प्रभाव :-
भारत का पश्चिम के साथ संबंध सुदृढ़ हुआ।
विदेशी व्यापार को बल मिला। खरोष्ठी लिपि का विकास, अरमाइक लिपि के सहयोग से हुआ।
भारतीय जल एवं स्थल सम्पर्क साधनों में विकास हुआ।
खरोष्ठी लिपि –
यह पारसीय संपर्क से भारतीय पश्चिमोत्तर प्रदेशों में जन्मी एक लिपि थी। इसका जन्म ईरान की अरमेइक लिपि से हुआ।यह दाएं से बाएं लिखि जाती थी।
यूनानी आक्रमण(मकदूनियाई आक्रमण) :-
सिकन्दर :-
ईरानी आक्रमण के बाद मकदूनिया(मेसीडोनिया) निवासी सिकन्दर का आक्रमण भारत पर हुआ। सिकन्दर मेसीडोनिया के क्षत्रप(स्थानीय शासक) फिलिप-2 का पुत्र पुत्र था। सिकन्दर ने भारत पर 326 ई.पू. में आक्रमण किया। इस समय भारत के पश्चिमोत्तर भारत की स्थिति 28 राज्यों में विभाजित थी ( पुरु, अभिसार, पूर्वी व पश्चिमी गांधार, कंठ, सौभती, मालव, क्षुद्रक, अंबष्ट, भद्र, ग्लौगनिकाय आदि ) । सिकन्दर ने खैबर दर्रे से भारत में प्रवेश किया। खैबर दर्रा पाकिस्तान व अफगानिस्तान के बीच में हिंदुकुश पर्वत में स्थित है। सिकन्दर ने सबसे पहले – अश्वजीत, निशा, अश्वक जनजातियों को हराया। तक्षशिला के शासक आम्भी ने आत्मसमर्पण कर दिया एवं सिकन्दर से जा मिलाा तथा सहयोग का आश्वासन दिया। आम्भी के बाद एक और शासक शशिगुप्त ने सिकन्दर के सामने आत्म समर्पण कर दिया था। प्राचीन काल में भारत पर विदेशी आक्रमण
हाई डेस्पिज का युद्ध/झेलम का युद्ध/कर्री का युद्ध – (वितस्ता का युद्ध) :-
यह युद्ध पोरस (पंजाब ) तथा सिकन्दर के मध्य झेलम तथा चिनाब नदी के बीच लड़ा गया।इस युद्ध में पोरस की हार हुई ।
पंजाब के बाद सिकन्दर और आगे बढ़ा परन्तु सिकन्दर की सेना ने व्यास नदी पार करने से मना कर दिया । इस घटना के बाद सिकन्दर विजित भारतीय प्रदेशों को अपने सेनापति फिलिप को सौंप कर वापस चला गया।
सिकन्दर ने भारत में 2 नगर बुकाफेला(अपने घोड़े के नाम पर) एवं निकैया(अपनी विजय स्मृति में) बसाए।
सिकन्दर की मृत्यु – बेबीलोन(एशिया) प्राचीन काल में भारत पर विदेशी आक्रमण