रियासतों का एकीकरण और पुनर्गठन स्वतंत्रता के पश्चात देशी राज्यों (रियासतों) का एकीकरण और पुनर्गठन ।
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 ने रियासतों को यह विकल्प दिया कि वे भारत या पाकिस्तान अधिराज्य (डामिनियम) में शामिल हो सकती हैं या एक स्वतंत्र संप्रभु राज्य के रूप में स्वंय को स्थापित कर सकती हैं।
- तत्कालीन समय में लगभग 500 से ज़्यादा रियासतें लगभग 48% भारतीय क्षेत्र एवं 28% जनसंख्या की कवर करती थीं।
- ये रियासते वैधानिक रूप से ब्रिटिश भारत के भाग नहीं थें, लेकिन ये ब्रिटिश क्राउन के पूर्णत: अधीनस्थ थीं।
- ये रियासते, राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों एवं अन्य उपनिवेशी शक्तियों के उदय को नियंत्रित करने में, ब्रिटिश सरकार के लिये एक सहायक के रूप में थीं।
- सरदार वल्लभ भाई पटेल (भारत के पहले उपप्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री) को V.P. मेनन की सहायता से रियासतों के एकीकरण का कार्य सौंपा गया।
- राजाओं के बीच राष्ट्रवाद का आह्वान शामिल न होने पर अराजकता की आशंका जताते हुए, पटेल ने राजाओं को भारत में शामिल करने का हर संभव प्रयास किया।
- उन्होंने ‘प्रिवी पर्स’ (एक भुगतान, जो शाही परिवारों को भारत के साथ विलय पर पर हस्ताक्षर करने पर दिया जाना था) की अवधारणा को भी पुनर्स्थापित किया।
- कुछ रियासतों ने भारत में शामिल होने का निर्णय किया, तो कुछ ने स्वतंत्र रहने का, वहीं कुछ रियासतें पाकिस्तान का भाग बनना चाहती थीं।
त्रावनकोर :-
दक्षिण तटीय राज्य, त्रावनकोर, उन प्रथम रियायतों में से एक था जिसने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया था एवं कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्त्व पर प्रश्नचिह्न लगाया था।
ऐसा कहा जाता है कि सर सी.पी. अबयर (त्रावनकोर के दीवान) ने यू.के. सरकार के साथ गुप्त संधि भी कर ली थी। यू.के की सरकार स्वतंत्र त्रावनकोर के पक्ष में थी क्योंकि यह क्षेत्र मोनोजाइट नामक खनिज से समृद्ध था, जो ब्रिटेन को नाभकीय हथियारों की दौड़ में बढ़त दिला सकता था।
लेकिन केरल समाजवादी पार्टी के एक सदस्य द्वारा उनकी हत्या के असफल प्रयास के बाद, सी.पी. अय्यर ने भारत से जुड़ने का फैसला किया और 30 जुलाई, 1947 को त्रावनकोर भारत में शामिल हो गया। रियासतों का एकीकरण और पुनर्गठन
जोधपुर :-
- एक राजपूत रियासत, जहाँ का राजा हिंदू था और अधिकांश जनसंख्या हिंदू थी, असाधारण रूप से पाकिस्तान की ओर झुकाव रखता था।
- युवा एवं अनुभवहीन राजा धनवंत सिंह ने यह अनुमान लगाया कि पाकिस्तान के साथ उसकी रियासत की सीमा लगने के कारण वह पाकिस्तान से ज़्यादा अच्छे तरीके से सौदेबाज़ी कर सकता है।
- जिन्ना ने महाराज को अपनी सभी मांगों को सूचीबद्ध करने के लिये एक हस्ताक्षरित खाली पेपर दे दिया था। इन्होंने सैन्य एवं कृषकों की सहायता से हथियारों के निर्माण और आयात के लिये कराची बंदरगाह तक मुफ्त पहुँच का प्रस्ताव भी रखा।
- इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए , पटेल ने तुरंत राजा से संपर्क किया और उसे पर्याप्त लाभों एवं प्रस्तावों का आश्वासन दिया।
- पटेल ने आश्वस्त किया कि हथियारों के आयात की अनुमति होगी। जोधपुर को काठियावाड़ से रेल के माध्यम से जोड़ा जाएगा, साथ ही अकाल के दौरान अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
- 11 अगस्त, 1947 को महाराजा हनवंत सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर किये, इस प्रकार जोधपुर रियासत का भारतीय अधिराज्य में एकीकरण हो गया।
भोपाल :-
- यह एक और रियासत थी जिसने संप्रभु एवं स्वतंत्र रहने की घोषणा की।
- यहाँ एक मुस्लिम नवाब, हमीदुल्ला खान, अधिसंख्यक हिंदू जनसंख्या पर शासन करता था।
- वह मुस्लिम लीग का करीबी मित्र एवं कॉग्रेंस का घोर विरोधी था।
- हालाँकि, उसने माउंटबेटन को लिखा कि कि वह एक स्वतंत्र रियासत चाहता है किंतु माउंटबेटन ने उसे उत्तर देते हुए लिखा कि ‘‘कोई की शासक अपने नजदीकी अधिराज्य (डामिनियम) से भाग नहीं सकता है।”
- जुलाई 1947, जब अधिकांश राजाओं ने भारत में शामिल होने का निर्णय लिया, तो अंतत: भोपाल के नवाब ने भी विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये।’’ रियासतों का एकीकरण और पुनर्गठन
हैदराबाद :-
- यह सभी रियासतों में सबसे बड़ी एवं सबसे समृद्धशाली रियासत थी, जो दक्कन पठार के अधिकांश भाग को कवर करती थी।
- इस रियासत की अधिसंख्यक जनसंख्या हिंदू थी, जिस पर एक मुस्लिम शासक निजाम मीर उस्मान अली, शासन करता था।
- इसने एक स्वतंत्र राज्य की मांग की एवं भारत में शामिल होने से मना कर दिया।
- इसने जिन्ना से मदद का आश्वासन प्राप्त किया और इस प्रकार हैदराबाद को लेकर कशमकश एवं उलझनें समय के साथ बढ़ती गईं।
- पटेल एवं अन्य मध्यस्थों के निवेदनों एवं धमकियाँ निजाम के मानस पर कोई फर्क नहीं डाल सकीं और उसने लगातार यूरोप से हथियारों के आयात को जारी रखा।
- परिस्थितियाँ तब भयावह हो गईं, जब सशस्त्र कट्टरपंथियों ने हैदराबाद की हिंदू प्रजा के खिलाफ़ हिंसक वारदातें शुरू कर दीं।
- 13 सितंबर, 1948 के ‘ऑपरेशन पोलों के तहत भारतीय सैनिकों को हैदराबाद भेजा गया।
- 4 दिन तक चले सशस्त्र संघर्ष के बाद अंतत: हैदराबाद भारत का अभिन्न अंग बन गया।
- बाद में निजाम के आत्मसमर्पण पर उसे पुरस्कृत करते हुए हैदराबाद राज्य का गवर्नर बनाया गया। रियासतों का एकीकरण और पुनर्गठन
जूनागढ़ :-
- गुजरात के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक रियासत, जो 15 अगस्त, 1947 तक भारत में शामिल नहीं हुई थी, की अधिकांश जनसंख्या हिंदू एवं राजा मुस्लिम था।
- 15 सितंबर, 1947 को नवाब मुहम्मद महाबत खानजी ने पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया और तर्क दिया कि जूनागढ़ समुद्र द्वारा पाकिस्तान से जुड़ा है।
- दो राज्यों के शासक मंगरोल एवं बाबरियावाड जो जूनागढ़ के अधीन थे, ने प्रतिक्रिया स्वरूप जूनागढ़ से स्वतंत्रता एवं भारत में शामिल होने की घोषणा की।
- इसकी अनुक्रिया में जूनागढ़ के नवाब ने सैन्यबल का प्रयोग कर इन दोनों राज्यों पर कब्जा कर लिया, परिणामस्वरूप पड़ोसी राज्यों के राजाओं ने भारत सरकार से मदद की अपील की।
- भारत सरकार मानती थी कि यदि जूनागढ़ को पाकिस्तान में शामिल होने की अनुमति दे दी गई तो सांप्रदायिक दंगे और भयावह रूप धारण कर लेंगे, साथ ही बहुसंख्यक हिंदू जनसंख्या, जो कि 80% है, इस फैसले को स्वीकार नहीं करेगी। इस कारण भारत सरकार ने ‘‘जनमत संग्रह’’ से विलय के मुद्दे के समाधान का प्रस्ताव रखा।
- इसी दौरान भारत सरकार ने जूनागढ़ के लिये ईंधन एवं कोयले की आपूर्ति को रोक दिया एवं भारतीय सेनाओं ने मंगरोल एवं बाबरियावाड पर कब्ज़ा कर लिया।
- पाकिस्तान, भारतीय सेनाओं की वापसी के शर्त के साथ ‘जनमत संग्रह’ के लिये सहमत हो गया, लेकिन भारत ने इस शर्त को खारिज कर दिया।
- 7 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ की अदालत ने भारत सरकार को राज्य का प्रशासन अपने हाथ में लेने के लिये आमंत्रित किया।
- जूनागढ़ के दीवान सर शाह नवाज भुट्टो (सुप्रसिद्ध जुल्फीकार अली भुट्टो के पिता), ने हस्तक्षेप के लिये भारत सरकार को आमंत्रित करने का निर्णय लिया।
- फरवरी, 1948 को ‘जनमत संग्रह’ कराया गया, जो लगभग सर्वसम्मति से भारत में विलय के पक्ष में गया।
कश्मीर :-
- एक ऐसी रियासत जहाँ की बहुसंख्यक जनसंख्या मुस्लिम थी, जबकि राजा हिंदू था।
- राजा हरि सिंह ने पाकिस्तान या भारत में शामिल होने के लिये विलय पत्र पर कोई निर्णय न लेते हुए ‘मौन स्थिति’ बनाए रखी।
- इसी दौरान, पाकिस्तानी सैनिकों एवं हथियारों से लैस आदिवासियों ने कश्मीर में घुसपैठ कर हमला कर दिया।
- महाराजा ने भारत सरकार से मदद की अपील की। राजा ने शेख अब्दुल्ला को अपने प्रतिनिधि के रूप में सहायता के लिये दिल्ली भेजा।
- 26 अक्तूबर, 1947 को राजा हरि सिंह ने ‘विलय पत्र’ पर हस्ताक्षर कर दिये।
- इसके तहत संचार, रक्षा एवं विदेशी मामलों को भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र में लाया गया।
- 5 मार्च, 1948 को महाराजा हरि सिंह ने अंतरिम लोकप्रिय सरकार की घोषणा की जिसके प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला बने।
- 1951 में राज्य संविधान सभा निर्वाचित हुई एवं 31 अक्तूबर, 1951 में इसकी पहली बार बैठक हुई।
- 1952 में, दिल्ली समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसके तहत भारतीय संविधान में जम्मू-कश्मीर को ‘विशेष दर्जा’ प्रदान किया गया। 6 फरवरी, 1954 को, जम्मू-कश्मीर की संविधान ने भारत संघ के साथ विलय का अनुमोदन किया।
- जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 3 के अनुसार, जम्मू -कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है और रहेगा।
- अनुच्छेद 370 के तहत, 5 अगस्त, 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने संवैधानिक आदेश, 2019 की उद्घोषणा की जिसमें जम्मू-कश्मीर को दिये गए ‘विशेष राज्य’ के दर्जे को खत्म कर दिया गया।
स्वतन्त्रता के पश्चयात राज्यों का पुनर्गठन :-
- स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व भारतीय राज्य क्षेत्र दो वर्गों में विभक्त था- ब्रिटिश भारत और देशी रियासतें।
- ब्रिटिश भारत में 9 प्रांत थे, जबकि देशी रियासतों की संख्या 600 थी, जिनमें 542 रियासतों को छोड़कर शेष पाकिस्तान राज्य में शामिल हो गई।
- 542 रियासतों में से तीन रियासतों- जूनागढ़, हैदराबाद तथा जम्मू-कश्मीर को भारत में विलय कराने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- जूनागढ़ रियासत को जनमत संग्रह के आधार पर तब भारत में मिलाया गया, जब उसका शासक पाकिस्तान चला गया।
- हैदराबाद की रियासत को सैन्य कार्यवाही करके भारत में सम्मिलित किया गया
- जम्मू-कश्मीर रियासत के शासक ने पाकिस्तानी कबायलियों के आक्रमण के कारण विलय-पत्र पर हस्ताक्षर करके अपनी रियासत की भारत में मिलाया।
- देशी रियासतों का भारत में विलय तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की दूरदर्शिता और साहसपूर्ण कूटनीतिक प्रयासों के कारण संभव हो पाया।
भारत में राज्यों की चार श्रेणियां :-
स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत ब्रिटिश प्रांतों एवं देशी रियासतों को एकीकृत करके भारत में राज्यों को चार श्रेणियों में विभाजित किया गया, जो निम्नलिखित हैं:
‘ए’ श्रेणी के राज्य :-
ब्रिटिश भारत के प्रांतों के साथ 216 देशी रियासतों की सम्मिलित करके ‘ए’ श्रेणी के राज्यों का गठन किया गया। ये राज्य थे-असम, बिहार, बंबई, मध्य प्रदेश, मद्रास, ओडीशा, पंजाब, संयुक्त प्रांत, पश्चिमी बंगाल, आंध्र प्रदेश। इनकी संख्या 10 थी।
‘बी’ श्रेणी के राज्य :-
275 देशी रियासतों की नयी प्रशासनिक इकाई में गठित करके ‘बी’ राज्य की श्रेणी प्रदान की गयी। ये राज्य थे- हैदराबाद, जम्मू-कश्मीर, मध्य भारत, मैसूर, पेप्सू (पटियाला और पूर्वी पंजाब के राज्यों का संघ), राजस्थान, सौराष्ट्र तथा त्रावणकोर-कोचीन। इनकी संख्या 8 थी।
‘सी’ श्रेणी के राज्य :-
61 देशी रियासतों को एकीकृत करके ‘सी’ राज्य की श्रेणी में रखा गया। ये राज्य थे- अजमेर, बिलासपुर, भोपाल, दुर्ग, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, कच्छ, मणिपुर, त्रिपुरा और विंध्य प्रदेश के राज्य। इनकी संख्या 10 थी।
‘डी’ श्रेणी के राज्य :-
अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह को ‘डी’ राज्य की श्रेणी में रखा गया था।
राज्यों का गठन और पुनर्गठन :-
धर आयोग :- जून 1948 में डॉ राजेंद्र प्रसाद ( संविधान सभा के अध्यक्ष ) के द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश S.K. धर की अध्यक्षता में एक आयोग धर आयोग का गठन किया गया । इस आयोग के तहत यह निश्चित किया गया कि भारत में राज्यों के पुनर्गठन प्रशासनिक आधार पर किया जाना चाहिए ।
J.V.P. समिति :- 1948 के जयपुर के कांग्रेस अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरु के द्वारा एक तीन सदस्यीय J.V.P. समिति बनाई गई । जिसके सदस्य थे – पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल , पट्टाभी सीतारमैया । इस समिति के द्वारा अपनी रिपोर्ट 1949 में पेश की गई जिसमें यह बताया गया कि राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर नहीं बल्कि इसका आधार एकता , सुरक्षा तथा आर्थिक समृद्धि होगा ।
विरोध :- दक्षिण भारत में तेलुगु भाषी लोगों के द्वारा 1950 में एक आंदोलन शुरू किया गया जिसके नेता पोट्टी श्रीरामल्लू थे । श्रीरामल्लू द्वारा 58 दिन तक अनशन करने के बाद 15 दिसंबर 1952 को इनकी मृत्यु हो गई । जिसके कारण 1 अक्टूबर 1953 में प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा तेलुगु भाषा के आधार पर एक नया राज्य आंध्र प्रदेश का गठन किया गया ।
फजल अली/ राज्य पुनर्गठन आयोग:-
दिसंबर 1953 में ही फजल अली की अध्यक्षता में एक राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया इसलिए इसे फजल अली आयोग भी कहा जाता है इसके दो सदस्य हदयनाथ कुंजरू और K.M पणिक्कर थे । अंततः इसी आयोग के द्वारा भाषा एवं सांस्कृतिक एकता के आधार पर राज्यों के गठन की मांग स्वीकार कर ली गई ।
राज्य पुनर्गठन अधिनियम :- जुलाई 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया जिसके तहत भारत में 14 राज्य तथा 6 केंद्र शासित प्रदेश का गठन किया गया ।
14 राज्य :- असम, बिहार, बॉम्बे ( बंबई ) , मध्य प्रांत , संयुक्त प्रांत , जम्मू कश्मीर , पंजाब , केरल , मद्रास , मैसूर , पश्चिम बंगाल , राजस्थान , उड़ीसा , आंध्र प्रदेश ( भाषा के आधार पर बना सबसे पहला राज्य )।
6 केंद्र शासित प्रदेश :-
दिल्ली , हिमाचल प्रदेश , मणिपुर , त्रिपुरा , अंडमान और निकोबार , लकदीव ( लक्षद्वीप ) ।
- 1954 में पांडिचेरी का विलय किया गया तथा 1956 में पांडिचेरी को संघ शासित क्षेत्र का दर्जा दिया गया ।
- 18 दिसंबर 1961 को गोवा तथा दमन और दीव को सैन्य कार्यवाही पुर्तगालियों से छीनकर संघ शासित क्षेत्र बनाया गया ।
- 1 मई 1960 को बॉम्बे को भाषा के आधार पर दो क्षत्रों मराठी भाषा तथा गुजराती भाषी में बांटा गया । इस प्रकार देश का 15 वां राज्य गुजरात बना ।
- 1 दिसंबर 1963 को असम से नागालैंड को अलग कर राज्य का दर्जा दिया गया ।
- 1 नवंबर 1966 को पंजाब को भी हिंदी भाषा के आधार पर हरियाणा तथा पंजाबी भाषा के आधार पर पंजाब को राज्य का दर्जा दिया गया । तथा इसी वर्ष चंडीगढ़ को भी केंद्र शासित क्षेत्र का दर्जा दिया गया ।
- 25 जनवरी 1971 को हिमाचल प्रदेश ( पहले केंद्र शासित क्षेत्र ) को राज्य का दर्जा दिया गया ।
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- 21 जनवरी 1972 को उत्तर-पूर्वी राज्य अधिनियम के तहत मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय को राज्य का दर्जा दिया गया ।
- 26 अप्रैल 1975 को सिक्किम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया ।
- 20 फरवरी 1987 को मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा दिया गया ।
- 30 मई 1987 को देश का 25 वां राज्य गोवा बना ।
- 1 नवंबर 2000 को देश का – 26 वां छत्तीसगढ़
- 9 नवंबर 2000 को देश का – 27 वां उत्तराखंड ( पहले उत्तरांचल )
- 15 नवंबर 2000 को देश का – 28 वां झारखंड
- 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश राज्य अधिनियम के तहत तेलंगाना देश का 29 वां राज्य बना ।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत इसे 2 केंद्र शासित क्षेत्रों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटा गया इस तरह पून: भारत में 28 राज्य शेष रह गए तथा केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या 9 हो गई।
वर्तमान भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश है । 26 जनवरी 2020 को दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव का विलय कर दिया गया ।