मध्यप्रदेश के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व Tribal Personalities of Madhya Pradesh
टंट्या भील :-
इन्हें टंट्या मामा के नाम से भी जाना जाता है। इनका जन्म 1842 में निमाड़ के
( बड़दा गांव) मैं हुआ, 1857 की क्रांति का आदिवासी जननायक कहा जाता है। अंग्रेजो के अत्याचार विरूद्ध टंट्या ने आवाज उठाई लेकिन उन्हें 1 साल की सजा सुनाकर जेल में बंद कर दिया।
Tribal Personalities of Madhya Pradesh
एक साल की सजा काटने के बाद टंट्या मजदूरी मेहनत करते रहे। फिर भी उन पर चोरी का झूठा आरोप लगाया गया। टंट्या भील को अंग्रेजो ने बहन सुरेखा से राखी बंधवाते वक्त पकड़ लिया और 1888 को फांसी दे दी गई ।
1889 के न्यूयॉर्क टाइम्स के संस्करण में इनकी गिरफ्तारी के खबर छपी थी , इन्हें भारत का रॉबिनहुड कहा जाता है ।
शंकर शाह :-
शंकर शाह गोंडवाना के राजा थे ,उनके पुत्र का नाम रघुनाथ शाह था। इन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह में आवाज उठाए। Tribal Personalities of Madhya Pradesh
वीरसा गोंड :-
वीरसा गोंड नर्मदा घाटी क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारी आदिवासी नेता थे। 19 अगस्त 1942 को वीरसा गोंड और अन्य क्रान्तिकारियों ने मिलकर बैतूल जिले के घोड़ा डोंगरी शाहपुर क्षेत्र के रेलवे स्टेशन पर आंदोलन किया।
इस दौरान पुलिस द्वारा बिना चेतावनी दिए गोली चलाने के कारण वीरसा गोंड की मृत्यु हो गई।
जनगढ़ सिंह श्याम :-
इनका जन्म ग्राम पतंगगढ़ जिला डिंडोरी में हुआ। गोंड जनजाति की उपजाति (परधान) से थे । यह एक गोंड चित्रकार थे। इनकी कृतियां – जनगढ़ कलम , उल्लू प्रमुख थी और 1986 में इन्हें शिखर सम्मान से नवाजा गया। Tribal Personalities of Madhya Pradesh
संग्राम शाह :-
इनका मूल नाम अमन दास था । इनका जन्म गढ़ मंडला में हुआ। यह गोंड वंश के 48 वे शासक थे। इन्होंने 52 किलों को जीता था । चौरागढ़ किले को इन्होने 52 किलों को जीतने के सम्मान में बनाया गया। इन्होने’ रासरतनमला ‘संस्कृत में लिखी है
दलपत शाह :-
इनका जन्म गढ़ मंडला में हुआ था ।यह गोंड वंश के शासक थे तथा यह संग्राम शाह के पुत्र थे। दलपत शाह का विवाह चंदेल वंश की राजकुमारी दुर्गावती से हुआ। जो एक वीरांगना थी।
रानी दुर्गावती :-
दुर्गावती गोंड शासक दलपत शाह की पत्नी थीं। दलपत शाह की मृत्यु के बाद रानी दुर्गावती ने 16 साल (1548-1564) तक शासन किया। 24 जून 1564 को मुगलों से लड़ते हुए वीरांगना रानी दुर्गावती शहीद हो गईं। Tribal Personalities of Madhya Pradesh
रानी अवंतीबाई :-
रानी आवंती बाई का जन्म 16 अगस्त 1831 को सिवनी जिले के मनकेड़ी ग्राम की जागीरदार राव जुझारसिंह लोधी के घर हुआ था। अवंती बाई बचपन से ही साहसी कन्या थी, उन्हें तलवारबाज एवं युद्ध का बहुत शौक था। रानी आवंती बाई का विवाह 17 वर्ष की आयु में रामगढ़ के राजा विक्रमादित्य से हुआ था। राजा विक्रमादित्य के स्वर्गवास के बाद रानी ने दक्षता पूर्वक राज-काज संभाला। 15 जनवरी 1858 को वैलिंगटन के द्वारा घुघुरी के अधिकार करने हुए रामगढ़ की ओर जाने पर रानी और वैलिंग्टन के बीच युद्ध हुआ। अंग्रेज वैलिंगटन की सेना ने भयंकर युद्ध किया।
देवहारगढ़ के जंगल में रानी के मुट्ठी भर सैनिकों और अंग्रेजी सेना के बीच युद्ध हुआ, रानी की सभी सेना मारी गई, रानी अंग्रेजो के हाथ लगने के बजाएं अपने शरीर में कटार घोपकर खुद को मार लिया और शहीद हो गई । Tribal Personalities of Madhya Pradesh
गंजन सिंह कोरकू :-
गंजन सिंह कोरकू बैतूल से थे । इन्होंने जंगल सत्याग्रह 1930 मे आदिवासियों का नेतृत्व किया। इस सत्याग्रह आंदोलन में कौवां,रामू, मकरू, बुंचा कोरकू शहीद हुए।
भीमा नायक :-
भीमा जी नायक का जन्म सन् 1840 में पश्चिमी निमाड़ रियासत के पंचमोहली गाँव जिला बड़वानी में हुआ था।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरूद्ध संघर्ष किया , उन्होंने तात्या टोपे को नर्मदा नदी पार करने में मदद की। 1857 में भीमा नायक और अंग्रेजों के बीच संघर्ष के दौरान अंग्रेजो ने भीमा नायक की वृद्धा मां को पकड़ लिया, लेकिन भीमा नायक बच निकले।भीमा नायक की मां को अंग्रेजो ने इतनी यातना दी कि 15 दिन में ही उनका देहांत हो गया।
2 अप्रैल 1868 को सतपुड़ा को सतपुड़ा के घने जंगल में भीमा नायक को अंग्रेज सिपाहियों ने पकड़ लिया और उन्हें बंदी बना लिया गया।
उनकी मृत्यु 1876 में पोर्ट ब्लेयर में हुई।
खाज्या नायक :-
नायक जन्म सन् 1830 में निमाड़ के एक छोटे गांव में हुआ था। ब्रिटिश सरकार ने खाज्या नायक को एक दिन अचानक हत्या के आरोप में बंदी बना दिया ओर 40 साल की सजा सुना दी और सजा के दौरान उन्हें जेल में डाला गया। Tribal Personalities of Madhya Pradesh
खाज्या नायक को 1856-57 में नौकरी में ले लिया गया। लेकिन खाज्या नायक ने नौकरी छोड़कर भीमा नायक के साथ भीलों की टोलियों को संगठित की। खाज्या और भीमा की जोड़ी ने 1857 की क्रांति का शंखनाद होते ही फिरंगियों के खिलाफ युद्ध छोड़ दिया। कर्नल आउट्रम ने छल से खाज्या को बंदी बना मौत के घाट उतार दिया।
धीर सिंह :-
रीवा राज्य में 1857 की क्रांति के प्रमुख नेता धीरसिंह बघेल ( धीरज सिंह ) का जन्म सन् 1820 में रीवा के कछिया टोला गांव में हुआ था।
पेमा फत्या :-
भील जनजाति के प्रसिद्ध चित्रकार पेमा फत्या का जन्म चंद्रशेखर आजाद नगर, झाबुआ में हुआ था। पेमा फत्या भील आदिवासियों की प्रसिद्ध चित्रकला पिथौरा के सर्वश्रेष्ठ चित्रकार थे। पिथौरा चित्रकला को पिठोरा नाम से भी जाना जाता है। पिथौरा चित्रकला भारत में एक मात्र ऐसी चित्रकला है जिसमें ध्वनि सुनना, उसे समझना और फिर लेखन से उसे चित्र बनाना होता है। पेमा फत्या को मध्य प्रदेश शासन ने साल 1986 में शिखर सम्मान से सम्मानित किया था। और साल 2017 में मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा तुलसी सम्मान से सम्मानित किया। 31 मार्च 2020 को पेमा फत्या का निधन हो गया।
रानी लक्ष्मीबाई :-
लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 में वाराणसी में हुआ। रानी लक्ष्मी बाई का वास्तिवक नाम मणिकर्णिका या मनु था। माता का नाम भागीरथी बाई तथा पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। बाजीराव मनु को छबीली पुकारते थे। विवाह झांसी के महाराज गंगाधर से हुआ था।
रानी के दत्तक पुत्र दामोदरराव को लार्ड डलहौजी ने गंगाराव का उत्तराधिकारी मानने से इंकार किया तथा रानी को 5000रू वार्षिक पेंशन निर्धारित की। 7 जून 1857 को झांसी मे विद्रोह हो गया। झांसी पर रानी का पुनः कब्जा हो गया, जो 10 माह तक रहा। मार्च 1858 में अंग्रेज सेनापति ह्यूरोज का सामना कियाऔरर 18 जून 1858 को रानी शहीद हुई। ह्यूरोज ने कहा था ‘ विद्रोहियों में यदि कोई मर्द था तो वह रानी लक्ष्मीबाई थी। Tribal Personalities of Madhya Pradesh
झलकारी बाई :-
इनका जन्म झाँसी के उत्तर-पश्चिमी दिशा में स्थित भोजला गांव में कोरी समाज में हुआ था।
झलकारी बाई ने महारानी लम्मीबाई की युद्ध में सहायता की थी।
ह्यूरोज ने पीर अली और दुल्हाजू की सहायता से झलकारी बाई को पकड लिया, लेकिन वह भाग निकली, स्वभिमानी झलकारी बाई ने पेट में बरछी भौंक कर अपने प्राणों की आहुति दी।
जमुना देवी :-
इन्हें बुआ के नाम से भी जाना जाता है। यह धार से है । तथा यह मध्य प्रदेश की प्रथम महिला उप मुख्यमंत्री काँग्रेसी थी तथा मध्य प्रदेश की प्रथम महिला विपक्ष नेता भी रही । Tribal Personalities of Madhya Pradesh
कांतिलाल भूरिया :-
ये झाबुआ से कांग्रेस सांसद तथा पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री रहे हैं।
भूरी बाई :-
भूरी बाई का जन्म झाबुआ के पिटोल गांव में हुआ। वह भील जनजाति से संबंधित हैं। भूरी बाई पिथौरा चित्रकला की एक प्रसिद्ध चित्रकार हैं। उन्हें 2021 में पद्म श्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। उन्हें मध्यप्रदेश शासन से सर्वोच्च पुरस्कार शिखर सम्मान 1986-87 में तथा अहिल्या सम्मान 1998 में प्राप्त हो चुका है।
लहरी बाई :-
एमपी के डिंडोरी जिले की लहरी बाई विलुप्त हो रहे मोटे अनाज की 25 से अधिक प्रजाति बचाकर एक अनोखा बीज बैंक शुरू करने के लिए जानी जाती हैं । Tribal Personalities of Madhya Pradesh
जोधइया बाई :-
मध्य प्रदेश के उमरिया जिले की रहने वाली जोधइया बाई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया।मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल उमरिया जिले के एक छोटे से गांव लोढ़ा में रहने वाली जोधइया बाई 40 साल से भी ज्यादा समय से आदिवासी पेंटिंग्स बना रही हैं। वर्ष 2023 में जोधाइया बाई को पद्म श्री से नवाजा गया ।
Prominent Tribal Personalities of Madhya Pradesh
Tantya Bhil :-
He is also known as Tantya Mama. He was born in 1842 in Nimad (Barda village), is called the tribal leader of the 1857 revolution. Tantya raised her voice against the atrocities of the British, but she was sentenced to one year and imprisoned.
After serving the serving sentence one year, Tantya continued to work as a laborer. Yet he was falsely accused of theft. Tantya Bhil was caught by the British while tying Rakhi to sister Surekha and was hanged in 1888. The news of his arrest was published in the New York Times edition of 1889, he is called Robinhood of India.
Shankar Shah :-
Shankar Shah was the king of Gondwana, his son’s name was Raghunath Shah. He raised his voice in the 1857 rebellion against the British.
Virsa Gond: –
Virsa Gond was a prominent revolutionary tribal leader of the freedom struggle in the Narmada Valley region. On August 19, 1942, Virsa Gond and other revolutionaries together agitated at the railway station of Ghoda Dongri Shahpur area of Betul district. During this, Virsa Gond died due to police firing without warning.
Jangarh Singh Shyam: –
He was born in village Patanggarh district Dindori. belonged to the sub-caste (Pardhan) of the Gond . He was a Gond painter. His works – Jangarh Kalam, Ullu were prominent and in 1986 he was awarded Shikhar Samman. Tribal Personalities of Madhya Pradesh
Sangram Shah :-
His original name was Aman Das. He was born in Garh Mandla. was the 48th ruler of the Gond dynasty. He had won 52 forts. The Chauragarh fort was built in honor of his victory over 52 forts. He has written ‘Rasartanmala’ in Sanskrit
Dalpat Shah :-
He was born in Garh Mandla. He was the ruler of the Gond dynasty and was the son of Sangram Shah. Dalpat Shah was married to Durgavati, a princess of the Chandela dynasty. who was a heroine.
Rani Durgavati: –
Rani Durgavati was the wife of Gond ruler Dalpat Shah. After the death of Dalpat Shah, Rani Durgavati ruled for 16 years (1548–1564). On 24 June 1564, Veerangana Rani Durgavati was martyred while fighting the Mughals.
Rani Avantibai :-
Rani Avanti Bai was born on 16 August 1831 in the house of Jagirdar Rao Jujharsingh Lodhi of Mankedi village in Seoni district. Avanti Bai was a courageous girl since childhood, she was very fond of swordsman and war. Rani Avanti Bai was married at the age of 17 to King Vikramaditya of Ramgarh. After the death of King Vikramaditya, the queen handled the affairs efficiently. On January 15, 1858, there was a war between Rani and Wellington when Wellington took control of Ghughuri and went towards Ramgarh. British Wellington’s army fought a fierce battle.
In the forest of Deohargarh, there was a war between a handful of soldiers of the queen and the English army, all the army of the queen was killed, instead of getting into the hands of the British, the queen killed herself by stabbing her body with a dagger and became a martyr. Tribal Personalities of Madhya Pradesh
Ganjan Singh Korku :-
Ganjan Singh Korku was from Betul. He led the tribals in the Jungle Satyagraha in 1930. Crow, Ramu, Makru, Buncha Korku were martyred in this Satyagraha movement.
Bhima Nayak: –
Bhimaji Nayak was born in the year 1840 in Panchmohli village of West Nimar State, Barwani district.
Fought against the British in the First War of Independence of 1857, he helped Tatya Tope to cross the Narmada River. During the conflict between Bhima Nayak and the British in 1857, the British captured Bhima Nayak’s old mother, but Bhima Nayak escaped. Bhima Nayak’s mother was tortured so much by the British that she died within 15 days.
On 2 April 1868, Bhima Nayak was captured by British soldiers in the dense forest of Satpura and was taken prisoner.
He died in 1876 at Port Blair. Tribal Personalities of Madhya Pradesh
Khajya Nayak: –
Khajya Nayak was born in 1830 in a small village in Nimar. The British government arrested Khajya Nayak one day suddenly on charges of murder and sentenced him to 40 years and was imprisoned during the sentence.
Khajya Nayak was taken into service in 1856-57. But Khajya Nayak left the job and organized the gangs of Bhils along with Bhima Nayak. The pair of Khajya and Bhima left the war against the Firangis as soon as the revolution of 1857 broke out. Colonel Outram tricked Khajya by taking him prisoner and put him to death.
Dhir Singh :-
Dhir Singh Baghel (Dhiraj Singh), the main leader of the revolution of 1857 in Rewa state, was born in 1820 in Kachhia Tola village of Rewa.
Pema Fatya: –
Fatya, a famous painter of the Bhil जनजाती , was born in Chandrashekhar Azad Nagar, Jhabua. Pema Fatya was the best painter of Pithora, the famous painting of Bhil tribals. Pithora painting is also known as Pithora. Pithora painting is the only painting in India in which one has to listen to sound, understand it and then paint it with writing. Pema Fatya was awarded the Shikhar Samman in the year 1986 by the Government of Madhya Pradesh. And in the year 2017 honored with Tulsi Samman by Culture Department of Madhya Pradesh Government. Pema Fatya passed away on 31 March 2020. Tribal Personalities of Madhya Pradesh
Rani Lakshmi Bai :-
Rani Lakshmi Bai was born on 19 November 1828 in Varanasi. The real name of Rani Lakshmi Bai was Manikarnika or Manu. Mother’s name was Bhagirathi Bai and father’s name was Moropant Tambe. Bajirao used to call Manu Chhabili. She was married to Maharaj Gangadhar of Jhansi.
Lord Dalhousie refused to accept Rani’s adopted son Damodar Rao as Gangarao’s successor and fixed an annual pension of Rs.5000 to Rani. On 7 June 1857 there was a rebellion in Jhansi. Jhansi was recaptured by the Rani, which lasted for 10 months. In March 1858, the British commander faced Huroj and on 18 June 1858, the queen was martyred. Heroes had said that if there was a man among the rebels, it was Rani Lakshmibai.
Jhalkari Bai: –
was born in Kori society in Bhojla village, located in the north-west of Jhansi.
Jhalkari Bai had helped Maharani Lammibai in the war.
Heroes caught Jhalkari Bai with the help of Pir Ali and Dulhaju, but she escaped, self-respecting Jhalkari Bai sacrificed her life by barking a spear in her stomach. Tribal Personalities of Madhya Pradesh
Jamuna Devi :-
She is also known as Bua. This is from Dhar. And she was the first woman Deputy Chief Minister of Madhya Pradesh Congress and also the first woman opposition leader of Madhya Pradesh.
Kantilal Bhuria :-
He has been Congress MP from Jhabua and former Union Minister of State.
Bhuri Bai :-
Bhuri Bai was born in Pitol village of Jhabua. He belongs to Bhil जनजाती. Bhuri Bai is a famous painter of Pithora painting. He has been awarded the Padma Shri in 2021. He has received the highest award Shikhar Samman in 1986-87 and Ahilya Samman in 1998 from the Government of Madhya Pradesh. Tribal Personalities of Madhya Pradesh
Lahari Bai :-
Lahari Bai of Dindori district of MP is known for starting a unique seed bank by saving more than 25 species of endangered millets.
Jodhaiya Bai: –
Jodhaiya Bai, a resident of Lodha, a small village in the tribal-dominated Umaria district of Madhya Pradesh, has been working for more than 40 years. Tribals have been making paintings since time immemorial. In the year 2023, Jodhaiya Bai was awarded the Padma Shri.